• story
  • लघु कथा, वर्चुअल रिश्ते – विक्रम ‘अपना’

लघु कथा, वर्चुअल रिश्ते – विक्रम ‘अपना’

4 years ago
370

इन्टरनेट से चैट हुआ।
पहले स्क्रीन पर हाई रेज्यूलेशन प्यार-इकरार हुआ।
फिर चट मंगनी, पट ब्याह हुआ।
जिसमें वर्चुअल घराती-बाराती शामिल हुए।
अगले ही महीने झटपट, खटपट हुआ।
उसके अगले महीने पेपर पर इश्तेहार छपा था।
परित्यक्ता के लिए वर चाहिए।
आखिर इंटरनेट के नेट में फंसे वर्चुअल रिश्ते, वर्चुअल सपने की तरह सिद्ध हुए।

विज्ञापन (Advertisement)

ब्रेकिंग न्यूज़

कविता

कहानी

लेख

राजनीति न्यूज़