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विशेष : घसिया ले संत गुरु घासीदास बनिस : सतनाम के उपदेश देवइया – डॉ. नीलकंठ देवांगन
छत्तीसगढ़ के मनोरम जंगल के बीच बसे गांव गिरौदपुरी मं 18 दिसंबर सन् 1756 मं पिता मंहगूदास, माता अमरौतीन के घर जनम धरिस | एखर जनम के कहानी अद्भुत हे | बताथें के अमरौतीन ह रात मं सपना देखिस के एक साधू ह ओला परसाद देके किहिस के तोर बेटा यशस्वी संत पुरुष होही | ओहा गरभ धारन करिस | जनम के समय साधू के बात सच दिखाई दिस | परकाश के आकाशबानी होइस के तोर पुत्र सतनाम के संदेश देवइया महान संत होही | ओखर नांव घसिया रखे गिस | उही लइका ह आघू चलके अपन करम , सिद्धांत,अउ चरित्र बल ले संत गुरु घासीदास के नांव ले परसिद्ध होइस | येहा सचमुच ले छत्तीसगढ़ महतारी के सपूत बेटा आय जउन मं सेवा अउ त्याग के भावना कूट कूट के भरे रिहिसे | ओहा सबले बड़े धरम गरीब के सेवा, देश मं एकता, सत आचरन अउ सब धरम के आदर करना मानिस अउ सिखाइस |
संत गुरु घासीदास के नांव संत के श्रृंखला मं छत्तीसगढ़ मं पहली नम्बर मं होथे | ओहा 18 वीं शताब्दी मं अपन तपस्वी जीवन ले आध्यात्मिक ग्यान ले हजारों लोगन मं ग्यान के परकाश भरिस |
घसिया के संग अजूबा (बाबा के चमत्कार) – खेलत खेलत एक दिन संगवारी मन गन्ना चोरी के मन बनइन | घसिया विरोध करिस | ओहा जानत रिहिसे के चोरी करना पाप हे | संगवारी मन बरछा मं घुस गें | ओहा चिल्ला दिस | मालिक ल आवत देखिन, सबो झन भगा गें | ओ दिन ले ओमन ओखर साथ छोड़ दिन | घसिया अकेला होगे | फायदा ये होइस के ओला वैचारिक मंथन अउ तत्व ग्यान सिद्ध करे के मौका मिलन लगिस |
एक दिन घसिया घास काटे बर खेत गिस | उहां खेत अंटाय पानी मं कई झन मछरी पकड़त रिहिन हे | एक खेत के मुहीं मं दू ठन मछरी घसिया ल किहिन- ‘तैं सतनाम के जाप कर | ‘ उंखर भाखा ल समझ गे | ओमन बताइन -‘हमन पूरब जनम मन मनखे रेहेन | हत्या ले बढ़ के कोनो पाप नइ होवय | हमन अपन करम फल भोगत हन | तोर दरश पाके ग्यान होइस, हमन तर गेन, मुक्ति धाम जावथन | हमर सतनाम स्वीकार कर | ‘ अतका कहिके मछरी मन मर गें |
घसिया अचरज मं पड़ गे | तभे आकाशबानी होइस- सब जीव मं एक बरोबर सत हे | एखर अनुभूति सब ल करा | सतनाम के जाप कर अउ करा | ओ दिन ले घसिया सतनाम के जाप करन लगिस, पोथी पुरान सुनन लगिस, ग्यान के बात बतावन लगिस | ओखर ग्यान ल सुन के लोगन मन अचंभा मं पर जांय |बिन पढ़े लिखे मं अइसन ग्यान कहां ले आगे? जरूर कोनो दैवी प्रेरना किरपा होही | ओखर ले परभावित होके लोगन मन जुड़त गिन | सतनाम पंथ के स्थापना करिस जेखर आज करोड़ों अनुयायी हे |
घसिया ह एक मरार इहां कृषि मजदूर ‘ कमियां ‘ रिहिसे | ओला खेत मं नांगर बइला जोत के धान बोय के काम तियारिस | नांगर बइला फांद के घसिया ह मुठिया छोड़ के ध्यान मगन होगे | खेत मं जुताई होवथे | बड़ अचंभा | नांगर खुदे चलथे | सबो खेत मं धान बोय के बाद जतका धान लाय रिहिसे, पूरा बचे रहय, ओला अपन मालिक ल दे दिस |
कई बार अपन धोती ल बिन डंगनी अधार के हवा मं सुखो दय | लोगन मन देख के अचरज मानंय | है न अजूबा?
सतनाम पंथ के स्थापना- गुरु घासीदास बाबा सतनाम पंथ के स्थापना करिस | छत्तीसगढ़ मं सतनाम के अलख जगा के ओखर महिमा ल उजागर करिस , सामाजिक समता के संदेश दिस , समरसता घोरिस | कमजोर वर्ग के विकास के रद्दा खोलिस | पूंजीवादी अउ सामंत वादी बेवस्था ल मानव कल्यान के विरोधी बताइस | टुकड़ा टुकड़ा मानव समाज ल संगठित करके नवा सामाजिक स्वरूप दिस | ओहा सामाजिक चेतना के अउ मानवता के संदेश देवइया बनिस | सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक क्षेत्र मं लोकतंत्र के पक्ष रखइया, वर्ण बेवस्था के घोर विरोधी, मानवता क्रांति के सूत्रधार बनिस | समाज ले जातीय बेवस्था ल निकार फेंके के उदिम करिस | सतनाम के परभाव ले अउ ओखर चरित्र से सबक लेके लोगन मन संकिरण परंपरा अउ निरर्थक करम कांड ले उबर के छुआछूत, जाति भेद ले ऊपर उठन लगिन |
सतनामी शब्द जाति सूचक शब्द नोहय. एक विशेषण आय | बाबा ह सतनाम, सत्य, अहिंसा ल मानव के मूलमंत्र बताय हे | सतनाम आंदोलन कोनो विशेष जाति या धरम बर नोहय, सबो मानव जाति के कल्यान खातिर आय | सतनाम सत, अहिंसा, करुना, दया, परेम अउ क्षमा पर आधारित हे |
ओहा सतनाम धरम के प्रवर्तक, तपस्वी, सिद्ध, सन्यासी, संत, महात्मा, साधु, सच्चा महापुरुष रिहिसे जउन ल प्यार से ‘बाबा’ शब्द ले संबोधित किये जाथे |
छः महीने की कठिन तपस्या साधना – गुरु घासीदास छाता पहाड़ मं अखंड धुनी जमाके आत्म शोधन करिस | अंवरा धंवरा पेड़ के नीचे आतम बोध होइस, आतम ग्यान मिलिस | तपस्या के बाद नवा दर्शन अउ नवा चिंतन ले के आईस | इहें फागुन अंजोरी पाख मं पंचमी ले सप्तमी तक तीन दिन के बहुत बड़े संत समागम होथे |
तपो भूमि गिरौदपुरी ह बाबा के जनम स्थल, लीला स्थल, तपो स्थल अउ सिद्धि स्थल हे |
अमृत कुंड- गिरौदपुरी धाम ले थोकुन दुरिहा मं अमृतकुंड हे | इही जगह पत्नि सफुरा ल बाबा ह अमृत जल पीला के जीवन दान दिये रिहिसे | फेर चिंता अउ बिमारी के कारन प्रान त्याग दिस |
बाबा के सात सिद्धांत-
1- सतनाम पर विश्वास रखव
2- मूर्ति पूजा मत करव
3- जाति भेद के परपंच मं मत परव
4- मांसाहार मत करव
5- शराब मत पियव
6- दोपहर मं खेत मत जावव
7- पर स्त्री ल माता मानव
बाबा के मुख मुख शिक्षा-
– मनखे मनखे एक समान
– सत्य अहिंसा मानुख के मूल मंत्र
– अंध विश्वास, मूर्ति पूजा, बलि, बाह्य आडंबर का विरोध
– शुद्ध, सात्विक, शाकाहारी खानपान
_ दया, प्रेम, सत्कर्म, सदाचरन, ल जीवन मं महत्व
-सतनाम के संदेश सब ल देना
-अन्याय, अत्याचार के विरोध
– दिशाहीन लोगन ल सही दिशा देखाना
-दलित, पीड़ित, गरीब के सेवा
– जैतखाम, सादा झण्डा सतनाम के पहिचान
– तुलसी के माला, जनेऊ धारन
– गुरु के आदर्श मं चल संस्कारवान बनना
नारी मन के उद्धार सम्मान- गुरु घासीदास नारी मन के पहिली उद्धार करइया समाज सेवी हे जउन ह स्वावलंबन अउ कर्मठता के पाठ पढ़ाइस | विधवा मन ल पुनः विवाह, धरम के काम मं पुरुष के बरोबर हिस्सा ले के अधिकार अउ एक स्त्री से विवाह संबंध निभाय खातिर संघर्ष करिस |
समाज ले सामाजिक विषमता दूर करे के बाबा ह अनुकरनीय प्रयास
करिस | सन् 1850 मं बाबा के मौत के बाद ओखर पुत्र बालकदास गुरु के दायित्व ल संभालिस |
गिरौदपुरी के जैतखाम- सतनाम धरम के प्रतीक चिन्ह जैतखाम हे | गिरौदपुरी मं कुतुब मीनार ले भी ऊंचा, 77 मीटर उंचाई के जैतखाम बने हे |
पंथी नृत्य- सतनामी समाज के विशेष नृत्य हे- पंथी नृत्य | छत्तीसगढ़ के लोक कला के रूप मं स्थापित समूह नृत्य होथे | येला स्त्री अउ पुरुष दुनो अलग अलग या साथ मं करथें | इंखर गीत मं सतनाम पंथ के संस्थापक, अध्येता, निर्गुन धारा के ग्यान मार्गी संत गुरु घासीदास बाबा के वंदना, ओखर वंशज मन के गुणगान महिमा के बखान होथे | एखर अलावा सत्य, समता, समानता व भक्ति के संदेश होथे | परम शक्तिमान परमात्मा ल सत्य केहे गेहे | ओखरे ले जीवन मुक्ति अउ दुख दरद के गोहार करे जाथे | इंखर गीत सिरफ भजन प्रार्थना भर नोहय, समाज ल दिशा घलो देखाथे | भौतिक जगत के सत्य ल घलो बताथे | भौतिक जगत के सत्य हे- खाली हाथ आना अउ खाली हाथ जाना | सत आचरण के साथ सांसारिक काम करे के प्रेरना देथे.
• डॉ. नीलकंठ देवांगन
• 84355 52828
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