कविता आसपास : तेज नारायण राय
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मैं नहीं कहता कि मैं कवि हूँ…
– तेज नारायण राय
[ दुमका झारखंड ]
मैं नहीं कहता कि मैं कवि हूं
न ही कहलाना चाहता हूं
न ही चाहता हूं यह भी
कि तुम कवि मानो मुझे
मैं तो गांव का एक साधारण सा शिक्षक हूं
और शिक्षक ही बना रहना चाहता हूं ताउम्र
मैं कविता नहीं लिखता
बल्कि लिखता हूं वही
जो अपने आस पास देखता भोगता हूं
तुम सब के बीच रहते
जो महसूस करता हूं
उसे ही शब्द देने की कोशिश करता हूं मैं
अब यह कविता है या नहीं है तुम जानो
जो दुख, जो अपमान तुमने दिए हैं
उसी को गा रहा हूं, गुनगुना रहा हूं मैं…..
तुम सुनो, न सुनो तुम्हारी मर्जी,
लेकिन मैं कहूंगा जो कहना चाहता हूं
लिखूंगा जो लिखना चाहता हूं
बोलूंगा जो बोलना चाहता हूं
तुम चाहे जितना अपमान करो मेरा
मैं तुम्हारे सम्मान में गीत सदा गाऊंगा
जो दिल में दर्द दिए हैं तुमने
उसे तो मैं गुनगुनाऊंगा
गा गाकर जग को सुनाऊंगा.
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