- Home
- Chhattisgarh
- रामलला प्राण प्रतिष्ठा पर विशेष – प्रतुल भेलोंडे
रामलला प्राण प्रतिष्ठा पर विशेष – प्रतुल भेलोंडे
▪️ प्रतुल भेलोंडे
🕉
संस्मरण राममंदिर कार सेवा-1990
राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ के बाल्यकाल से स्वयसेवक रहे प्रतुल भेलोंडे अपने आप को उन भाग्यशाली लोगो में से मानते है जिन्हे राम मंदिर आंदोलन में 1990 में कार सेवक के रूप में भाग लेने का अवसर मिला। इस आंदोलन के समय मेरी उम्र 22 वर्ष थी और मैं कॉलेज में पढ़ रहा था।देश भर में विश्व हिंदू परिषद द्वारा राम मंदिर आंदोलन के लिए कार सेवा का आव्हान किया था, तो मैं भी इसमें शामिल हो कर इस ईश्वरीय कार्य का साक्षी बनना चाहता था। संघ के मित्रो और घर परिवार में दादी
मां एवम् पिता जी से चिंता करते हुए अनुमति दी। मेरे पिता जी पी. वाई. भेलोंडे आपातकाल के समय संघ के अधिकारी होने के कारण 19 माह रायपुर के सेंट्रल जेल में बंदी थे।
छीतरमल धर्मशाला से 29 अक्टूबर 1990 की रात को बस से संघ, विद्यार्थी परिषद, भाजपा के कार्यकर्ताओं को लेकर सतना रीवा मार्ग होते हुए हनुमना गांव में थोड़ी देर के लिए रुकी थी। यहां श्री हनुमान जी का बड़ा प्राचीन और प्रसिध्द मंदिर होने के कारण ही प्राचीन काल से गांव का नाम हनुमना पड़ा था। इन्ही मार्गों से होते हुए उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश किया, जहां पर पुलिस का बहुत जमावड़ा तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह की सरकार ने किया था। अन्य प्रदेशों से आए कारसेवकों को भी उत्तर प्रदेश में प्रवेश के समय ही अयोध्या जाने से पहले ही हिरासत में लेकर विभिन्न जेलों में भेजा जा रहा था। हमारी बस के सभी कार सेवकों को जौनपुर की जेल में ले जाया गया। रात लगभग 2बजे का समय था। हमारे साथ गए बहुत से कार्यकर्ता गिरफ्तारी से बच कर अयोध्या की जाने के लिए पास के मंदिर में छिप गए थे। सब तरफ अफरा तफरी मची हुई थी। म. प्र. से भी काफी कार सेवक जौनपुर की जेल में लाए गए थे।
सुबह होने के बाद हिं पता चला की कौन कौन गिरफ्तार हुए है और कौन वहा से आगे जाने के लिए पुलिस से बच कर निकल गए
काफी बड़ी संख्या में कार सेवक होने के कारण अस्थाई व्यवस्था जेल के अंदर की गई थाई। सुबह ही खबर मिली थी की पूरे शहर में कर्फ्यू लगा है। शहर के संघ और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता हैं कार सेवको के लिए नाश्ता का प्रबंध करते थे। कभी चना, मुर्रा, कभी फल केला सेव बिस्कुट दिए जाते थे। जेल में भोजन की व्यवस्था बिलकुल भी ठीक नहीं थाई। फिर भी सभी कार सेवक जैसा भोजन मिलता था वैसा ग्रहण कर लेते थे। जेल में हमारे साथ मध्य प्रदेश के शिवराज सिंह चौहान , भिलाई से संघ के अधिकारी बिसरा राम जी यादव, भाजपा के सुरेश निगडे जी भी जेल में थे। भोजन की गुणवत्ता को लेकर शिवराज जी ने जेल के प्रमुख अधिकारियों से एवम् जेलर से संपर्क कर शिकायत की
लेकिन जेल प्रबंधन द्वारा कुछ भी नही किया गया। जेल में सुबह और शाम दोनो समय शाखा लगती थी। शिवराज जी को करीब से जानने का अवसर मिला। उन्होंने अपने प्रखर वाणी से सभी कार सेवकों में उत्साह भर के रखा था। राष्ट्र भक्ति के गीत , भजन शिवराज जी बहुत बढ़िया गाते थे। उनके आग्रह पर ही जेल में बंदी सभी कार सेवकों ने भोजन की गुणवत्ता में सुधार के लिए एक दिन का उपवास रखा।
4 और 5 नवंबर की कार सेवा के बाद जब कार सेवक अपने घर लौटने लगे तब हमे जेल प्रशासन ने 7नवंबर को रिहा किया। बहुत से कार सेवक वापिस अपने घर चले गए लेकिन मेरे साथ जो मेरा मित्र श्रीरंग चौथाईवाले और परिचित के स्व. आनंद भोम्बे जी के साथ अयोध्या धाम जी के दर्शन के लिए ट्रेन से निकल पड़े। सरयू जी में स्नान करने के बाद राम लला के दर्शन के लिए मंदिर परिसर में पहुंचे तो वहा 4/5 दिनों पूर्व हुई गोलीबारी के निशान और कार सेवको के रक्त के निशान ताजा थे। कार सेवकों को मौन श्रद्धांजलि देकर राम लला के दर्शन किए।
अयोध्या में जब हम थे तो हर घर से नाश्ता और भोजन के लिए कार सेवकों को आग्रह कियां जा रहा था। अयोध्या जी से निकल कर काशी विश्वनाथ बाबा के दर्शन कर के हम वापिस भिलाई की यात्रा शुरू की। भिलाई आने पर घर परिवार और दोस्त मित्र सभी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। सभी चिंतित थे , सकुशल वापसी से सभी आनंदित थे। लगभग 33 वर्षो पूर्व इस महान राष्ट्रीय कार्य में एक छोटे से कण का योगदान दे कर अभिभूत है, सुप्रीम कोर्ट का नतीजा, भूमि पूजन और अब श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा होना सैकड़ों कार सेवकों के बलिदानों का सम्मान है।
जय श्रीराम
•संपर्क-
•78286 98804
🟥🟥🟥🟥🟥🟥