तीन बाल गीत- डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’, कोरबा-छत्तीसगढ़
■ 1
मिश्का रानी बड़ी सयानी
करती है अपनी मनमानी
देख रहे हैं मम्मी – पापा
दादा-दादी , नाना -नानी
उसके हँसने रोने पर भी
बन जाती है नयी कहानी
गोद नहीं लेने पर हरदम
आता है आँखों में पानी
हँसती है वो परियों जैसी
हो जाती है रुत मस्तानी
■ 2
हँसते-हँसते रोती है
रोते – रोते सोती है
दूध तभी पीती है जब
उसकी मर्ज़ी होती है
अपने दादा दादी की
नटखट,चंचल पोती है
जिस बिस्तर पर सोती है
बारंबार भिगोती है
सोनचिरैया पापा की
मम्मी की वह तोती है
■ 3
प्यारे नाना जल्दी आना
मेरी नानी को भी लाना
मम्मी मुझको धमकाती है
उनको अपना रौब दिखाना
टॉफी लेने जाना हो तो
अपनी मिश्का को ले जाना
जब मुझको रोना आएगा
बन्दर बनना और हँसाना
सबको याद बहुत आते हो
आज न कोई बात बनाना
【 डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ छत्तीसगढ़ से देश के सुप्रसिद्ध रचनाकार हैं
‘छत्तीसगढ़ आसपास’ में उनकी रचनाओं को आप नियमित पढ़ रहे हैं
आज़ तीन बाल गीत प्रस्तुत है, अपनी प्रतिक्रिया से अवश्य अवगत करायें.
-संपादक
लेखक संपर्क-
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