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शमशान घाट में चिताओं के जलते राख से खेली जाती हैं होली, जानिए इस चौंकाने वाले रहस्य के बारे मे…
भारतीयों के प्रिय त्योहार होली के उत्सव में काशी नगरी में अद्वितीय और रोमांचक समारोह का आयोजन किया गया। श्रद्धालुओं ने चिताओं के बीच भस्म से होली खेलकर उत्साह और आनंद का माहौल बनाया। यहां होली के उत्सव में काशी विश्वनाथ मंदिर की जलती चिताओं के बीच भस्म से होली खेलने की परंपरा है। युवा एकत्रित होकर विश्वनाथ भगवान को लुभाने और प्रसन्न करने का संदेश दिया। इस अद्वितीय परंपरा में विदेशी पर्यटक भी भाग लेते हैं। उनकी उत्सुकता और रोमांच से भरी होती है। वे भी चिताओं के पास जाकर होली खेलने का आनंद लेते हैं।
चिताओं के राख से खेली होली
काशी के बाबा कीनाराम आश्रम से भगवान शिव के गण का रूप धारण किए कलाकारों ने हरिश्चंद्र घाट के लिए रवाना होकर उत्सव को और भी रंगीन बनाया। उत्सव के दौरान भक्ति गीतों की धुन पर झूमते नाचते हुए कलाकारों के साथ युवाओं की टोली श्मशान घाट पहुंची। बाबा मोहन नाथ का आशीर्वाद लेकर उन्होंने चिताओं के राख से होली खेली और उत्सव को समाप्त किया। इस महोत्सव ने न तो सिर्फ स्थानीय लोगों को जोड़ा बल्कि विदेशी पर्यटकों को भी भारतीय संस्कृति के विविधता और समृद्धि का अनुभव कराया।
बता दें कि चिता भस्म होली का लेकर पर्यटकों में हमेशा से ही जबरदस्त क्रेज रहा है। श्मशान घाट में जलती हुई चिताओं के पास राख से खेले गए होली के अद्भुत नजारे को देख देशी–विदेशी पर्यटक रोमाचितं थे। लोगों ने भस्म होली का नजारा जब अपनी आंखों से देखा तो हैरान नजर आए। इस मौके पर काफी चकित रहे। दिल्ली से आए पर्यटकों की माने तो उन्होंने काशी के चिता भस्म की होली के बारे में सुना और पढ़ा है, लेकिन आज जब इसे उन्होंने अपनी आंखों से देखा तो वह काफी हैरान रहे। इस मौके पर भगवान शिव के गण के रूप में निकली टोली खास आकर्षण का केंद्र रहा, जिसे देखने के लिए काशी की सड़कों के साथ गंगा घाट पर लाखों की संख्या में लोग मौजूद रहे। इस अनोखी होली को हर कोई अपने कैमरे में कैद करता रहा, तो वही धधकती चिताओं के बीच भस्म से देव रूपी कलाकार होली के रंग में रंगे नजर आए।