• poetry
  • कविता, मुस्कुराना सीखो- उज्ज्वल प्रसन्नो

कविता, मुस्कुराना सीखो- उज्ज्वल प्रसन्नो

4 years ago
500

फ़ूलों की तरह मुस्कुराना सीखो ।
ग़मज़दा हो तो फ़रमाना सीखो ।।

खुशबू से मुहब्बतें महकाना सीखो ।
पंखुड़ियों से आपस मे जुड़ जाना सीखो ।।

कलियो से मुस्तक़बिल सपने सजाना सीखो ।
जज़बातों से मामूर रिश्ते बेहतर बनाना सीखो ।।

महक़ से फूलों के दिल पर छा जाना सीखो।
ज़िन्दगी नहीं मरहूँमो की दिल धड़काना सीखो।।

फ़ूल नेमतें हैं क़ुदरत की इन्हें अपनाना सीखो ।
गुलदस्तों से परेशान हाल को सहलाना सीखो ।।

फ़ूलों सी हँसीन है जिंदगी मदद का तराना सीखो।
फ़ूल बनो एक बार तो फ़ूलों से मुस्कुराना सीखो।।

विज्ञापन (Advertisement)

ब्रेकिंग न्यूज़

कविता

कहानी

लेख

राजनीति न्यूज़