कविता, चलते रहना ही जीवन है -दिलशाद सैफी, रायपुर, छत्तीसगढ़
4 years ago
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धन भी दौलत भी जोश और जवानी
कुछ भी नहीं रहता जीवन प्रयत्न
जन्म भी शाश्वत मरन भी शाश्वत
फिर भी नहीं रूकता जीवन चक्र
क्योंकि चलते रहना ही जीवन हैं ..!!
पृथ्वी आकाश सूर्य चन्द्रमा और
सौर्य मंडल के सम्पूर्ण ग्रह नक्षत्र
चलते रहते नियत तिथी आबाध गति
क्योंकि रुके कभी तो आ जायेगा प्रलय
इसलिए चलते रहना ही जीवन हैं …!!
मानव जीवन पर्यत्न करता रहता संघर्ष
सुख भी क्षण भर दुख भी क्षण भर
अपने सगे सम्बंधियों से करता अथाह प्रेम
कर उनका दाह संस्कार भरता अपना पेट
क्योंकि चलते रहना ही जीवन हैं…!!
खग, चराचर विचरते दिनभर
सांझ ढ़ले छीप जाते घर पर
पुष्प सवेरे खिलते मंडराते भौरे उनपर
बिखेरे सौरभ माधुर्य सांझ ढ़ले मुरझाये थक कर
क्योंकि चलते रहना ही जीवन हैं…!!
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