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जमुना प्रसाद कसार सम्मान समारोह के संदर्भ पर विशेष : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के योध्दा जमुना प्रसाद कसार, एक परिचय- बलदाऊराम साहू
जमुना प्रसाद कसार जी ने अपने जीवन काल में बहुत-सी उपलब्धियाँ अर्जित कीं हैं। उनके साहित्यिक और सामाजिक कार्यों से दुर्ग जिला भलीभाँति परिचित है। उन्हें स्मरण कर हम गौरवान्वित महसूस करते हैं। उनके स्मरण से ऐसा लगता है कि वे हमारे आसपास हैं।
स्मृतियों में बसे जमुना प्रसाद कसार जी केवल साहित्यकार ही नहीं थे बल्कि वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा भी थे। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भागीदारी देकर राष्ट्र प्रेम का ज्वलंत उदाहरण प्रस्तुत किया। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने का अभिप्राय माटी के प्रति अपार श्रद्धा का भाव है। हम इतिहास के आईने में जानते हैं कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने का मतलब अपना तन-मन-धन राष्ट्र को अर्पित करना और अपने परिवार को संकट में डालना था। और ऐसे में वही व्यक्ति स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हो सकते थे जो इस चुनौती के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार हों। इस आयोजन के बहाने हम कसार जी के साथ-साथ अपने भूले-बिसरे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भी नमन करते हैं।
जमुना प्रसाद कसार जी से मेरा परिचय तब हुआ जब साक्षरता अभियान दुर्ग जिला में जोरों से चल रहा था। साक्षरता के अभियान के दरम्यान कसार जी को मैंने एक योजनाकार के रूप में पाया। जब भी उनसे मुलाकात होती साक्षरता के साथ-साथ शिक्षा के विषय पर भी बहुत-कुछ बातें होतीं थीं। उन्हें शैक्षिक क्षेत्र का भी लंबा अनुभव था। वे एक शिक्षक, शैक्षिक प्रशासक ही नहीं, एक शिक्षाविद भी थे। इसलिए वे शिक्षा की बारीकियों को समझते थे। एक शिक्षक होने के नाते उन्हें सुनना मेरे स्वयं के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण था। वे मेरे प्रेरणास्रोत थे। लंबे अंतराल के बाद पदुम लाल पुन्ना लाल बख्शी सृजन पीठ में कसार जी से दो-तीन बार भेंट हुई थी। वे अपने वक्तव्य में अपनी साहित्यिक यात्रा की चर्चा करते थे। तब वे बड़े आदर पूर्वक बख्शी जी को स्मरण करते थे और कहते थे कि उनकी साहित्यिक यात्रा की शुरुआत बक्शी जी के मार्गदर्शन में हुई। वे उन्हें अपने साहित्यिक गुरु मानते थे। और वे बड़े विनम्र भाव से बताते थे कि बक्शी जी ने उनका किस तरह साहित्यिक मार्ग दर्शन किया।
कसार जी सहज,सरल व्यक्तित्व के धनी थे। उनकी सरलता-सहजता प्रत्येक व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करती थी। मैंने उनमें अहम् का भाव कभी नहीं देखा। वे लोगों को अपनापन परोसते थे। उनके व्यक्तित्व के तमाम उजले पक्षों पर प्रकाश डालना, मेरे लिए तो संभव नहीं है। आज मैं कलम के उस सिपाही को याद करके गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ जिनकी लेखनी ने हिंदी साहित्य जगत को बहुत कुछ दिया है। वे जहाँ एक ओर कविता लिखते थे वहीं उन्होंने कहानी, निबंध और उपन्यास भी लिखे। स्वतंत्रता के सिपाही होने के नाते वे भारतीय इतिहास की भी बखूबी समझ रखते थे। इसलिए उन्होंने आजादी के सिपाही- प्रथम खण्ड,अमर सेनानी, शहीद वीरनारायण सिंह, पंडित लखनलाल मिश्र, पंडित सुंदरलाल शर्मा, नरसिंह प्रसाद अग्रवाल के व्यक्तित्व-कृतित्व पर रचनाएँ समाज के समक्ष रखीं। वे छंदबद्ध कविता के पक्षधर रहे इसीलिए उन्होंने छत्तीसगढ़ी कुंडलियाँ, जो छ.ग. भाषा में लिखित कदाचित कुण्डलियों की प्रथम पुस्तक है, की रचना की। उनकी अन्य प्रकाशित रचनाओं में कविता संग्रह ‘जीवन राग’ कहानियाँ -सन्नाटे का शोर, अंधों के मोहल्ले में दर्पण की दुकान, कफन, सरला ने कहा आदि प्रमुख हैं। उन्होंने ग्रामीण महिला जागरण एवं उनके संघर्ष की गाथा व नशा मुक्ति को केन्द्र में रखकर ‘अक्षर’आंचलिक उपन्यास की रचना की। इस तरह उनकी निबंध, शोध, संस्मरण, समीक्षा आदि के कुल 18 पुस्तकें प्रकाशित हैं।
कसार जी अपने व्यक्तित्व और कृतित्व के कारण अनेक राज्य और राष्ट्रीय संस्थाओं से पुरस्कृत और सम्मानित हुए हैं। जिसमें प्रमुख है- मध्यप्रदेश का स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, साहित्यकार सम्मान, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी साधना सम्मान, नवसाक्षर लेखन सम्मान; राज्य संसाधन केन्द्र, इन्दौर द्वारा, साक्षरता सम्मान, राष्ट्रीय साक्षरता संसाधन केन्द्र, नई दिल्ली से प्रमुख है। कसार जी केवल रचनाकार नहीं थे। वे एक चिंतक भी थे। उनका चिंतन और वार्ताएँ आकाशवाणी रायपुर से निरंतर प्रसारित होते रहे। वे मानस के अच्छे व्याख्याकार भी थे। यूँ तो कुछ शोधार्थियों के द्वारा उनके काव्य में शोध कार्य किया गया है लेकिन उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर विशेष कार्य किया जाना अभी बाकी है।
ज्ञात हो कि ‘जमुना प्रसाद कसार सम्मान’ प्रतिवर्ष किसी एक साहित्यकार को दिया जाता है. यह सम्मान 2017 से प्रतिवर्ष जमुना प्रसाद कसार के पुत्र अरुण कसार और उनके परिवार द्वारा दिया जाता है. इस वर्ष का सम्मान देश के ख्यातिलब्ध साहित्यकार व व्यंग्यकार रवि श्रीवास्तव को 30 जून, 2024 को एक समारोह में दिया जायेगा.
[ लेखक बलदाऊराम साहू ‘हिंदी साहित्य भारती छत्तीसगढ़’ के अध्यक्ष हैं. • संपर्क- 94076 50458 ]
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