बाल कविता, नन्ही गौरैय्या -डॉ. बलदाऊ राम साहू
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नन्ही गौरैया फिर आना
चीं-चीं, चूँ-चूँ गीत सुनाना।
फुर्र-फुर्र तुम उड़ जाती हो
मुझको छोड़ चली जाती हो
इस बार तुम रूक भी जाना
चीं-चीं, चूँ-चूँ गीत सुनाना।
मुनिया तो चुप-चुप बैठी है
लगता है वह तो ऐठी है
दिल उनका तुम बहला जाना
चीं-चीं, चूँ-चूँ गीत सुनाना।
नाचोगे तो मुस्काएगी
ताली खूब वह बजाएगी
अपनों को तुम जरा बुलाना
चीं-चीं, चूँ-चूँ गीत सुनाना।
●लेखक संपर्क-
●94076 50458
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