कविता आसपास : पल्लव चटर्जी
▪️
बरसाती मौसम
बरसाती मौसम में
दिमाग का मिजाज बदलता है ,
खुशीयों से भर जाता है मन
बादल अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता है ।
मानव शरीर का तापमान नियंत्रित होता है
एनर्जी बढ़ती है तार्किकता, निर्णय लेने में
सक्षम होते हैं इंसान।
तली हुई चीजें बड़े चाव से खाते हैं
कमजोर पाचन वालों को
एसिडिटी, गैस, बदहजमी होने लगते हैं ,
अध्ययन से साबित हुआ है –
पेड़ पौधे भी कोमल पत्तों, फूलों-फलों से
अपना श्रृंगार करते हुए पाये जातें है ।
▪️
मेरे आत्मीय! मेरे स्वजन!
मेरे आंगन के
परकोटा पर लगे
लोहे के दरवाजे के बांये हिस्से में
आज भी प्रहरी की तरह खड़ा है
बूढ़ा हरसिंगार -गवाह है
मेरे अतीत का और निष्कपट साथी है –
मेरे वर्तमान का……..
तभी तो बड़ा भाई मानता हूं उसे
और उसके सहारे
स्वयं को बचायें रखने में सफल
माधवीलता को अपनी बहन कहता हूं।
ये दोनों ही रहे हैं मेरे पूजा में,
मेरे हर्ष में, मेरे विषाद में,
देवता के निकट फरियाद में।
इन दोनों से ही है –
मेरे जीवन में सुगंधि……
तथाकथित मेरे समाज की
संवादहीनता,
विच्छिन्नता, कलुषता से
अवसादग्रस्त नहीं होता अब मैं
क्योंकि हैं न मेरे निकट
मेरे आत्मीय! मेरे स्वजन!
हरसिंगार सा भाई और
माधवीलता सी बहन।
• संपर्क-
• 81093 03936
▪️▪️▪️▪️▪️