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बंगीय साहित्य संस्था’ के तत्वावधान में आयोजित ‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा’ क्रमांक- 47
👉 ‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा-47’
छत्तीसगढ़ आसपास [20, जुलाई 2024 : इंडियन कॉफी हाउस, भिलाई निवास] : 1962 से संचालित बांग्ला साहित्यिक संस्था ‘बंगीय साहित्य संस्था’ द्वारा प्रति सप्ताह आयोजित ‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा-47’ के आज की अध्यक्षता बांग्ला के सुप्रसिद्ध कवि समरेंद्र विश्वास ने किया. अन्य उपस्थित सदस्य- • गोविंद पाल • दुलाल समाद्दार • प्रकाशचंद्र मण्डल • वीरेंद्रनाथ सरकार • पं. वासुदेव भट्टाचार्य • आलोक कुमार चंदा • बृजेश्वर मल्लिक और • प्रदीप भट्टाचार्य.
👉 [ बाएँ से ] प्रदीप भट्टाचार्य, पं. वासुदेव भट्टाचार्य, बृजेश्वर मल्लिक, समरेंद्र विश्वास, वीरेंद्रनाथ सरकार, प्रकाशचंद्र मण्डल, गोविंद पाल, आलोक कुमार चंदा और दुलाल समाद्दार
प्रारंभ में ‘बंगीय साहित्य संस्था’ की लिटिल पत्रिका ‘मध्यबलय’ के प्रकाशन पर चर्चा की गई. प्रदीप भट्टाचार्य ने ‘मध्यबलय’ पत्रिका के उत्कृष्टता और निरंतर प्रकाशन पर ‘मध्यबलय’ के संपादक दुलाल समाद्दार को बधाई देते हुए एक सुझाव दिया कि ‘मध्यबलय’ में प्रकाशित रचनाओं के साथ रचना से संबंधित चित्र और लेखक/ कवि की फोटो भी होना चाहिए. दुलाल समाद्दार ने ‘मध्यबलय’ के प्रकाशन में हो रही आर्थिक कठिनाईयों को बताया और आलोक कुमार चंदा ने ‘मध्यबलय’ के वार्षिक शुल्क में वृद्धि करने का प्रस्ताव रखा. समरेंद्र विश्वास ने कहा कि ‘मध्यबलय’ के प्रकाशन में हो रहे खर्च को कम करने के लिए पेज में कमी करना चाहिए,इसके जवाब में दुलाल समाद्दार ने कहा कि पेज कम करने से देशभर में ‘मध्यबलय’ को जो ख्याति मिल रही है वो मिल पाना संभव नहीं और ‘मध्यबलय’ की गुणवता भी नहीं रह पाएगी.
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द्वितीय सत्र में ‘बंगीय साहित्य संस्था’ के उप सचिव, बांग्ला- हिंदी के कवि व नाट्यकार प्रकाशचंद्र मण्डल के संचालन में कविता पाठ हुआ-
•पं. वासुदेव भट्टाचार्य ने ‘मिथ्या जॉय गान’ बांग्ला कविता/ •आलोक कुमार चंदा ने बांग्ला कविता ‘उज्जवला’ और ‘आमी आबार फिरे आसते चाई’/ •समरेंद्र विश्वास ने ‘बंगीय साहित्य संस्था’ की उप सभापति व बांग्ला की वयोवृद्ध चर्चित लेखिका श्रीमती स्मृति दत्ता की अनुपस्थिति में उनका संदेश और स्वंय की एक बांग्ला कविता ‘कॉलोम बाचार जहाज़’ पढ़ा.
•प्रकाशचंद्र मण्डल ने बांग्ला कविता ‘जन्मदुखी माँ’ और एक हिंदी कविता ‘फिर वापस आना होगा’/ •दुलाल समाद्दार ने बांग्ला में दो कविता ‘रूपकथा’ और ‘कवि’/ • वीरेंद्रनाथ सरकार ने हिंदी में एक कविता ‘भक्ति की पुकार’ का पाठ किया.
•बृजेश्वर मल्लिक ने हिंदी में आज के समाज में हो रहे रिलेशनशिप पर एक लंबी समसामयिक कविता ‘रिलेशनशिप’ और ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ एवं ‘मुक्तकंठ’ के संपादक व प्रगतिशील कवि प्रदीप भट्टाचार्य ने दो छोटी- छोटी मुक्तक ‘मैं हर वक्त को त्यौहार बना लेता हूँ…’ / ‘मैं पतझड़ की नहीं…’ को पढ़ा.
👉 गोविंद पाल कविता पाठ करते हुए…
‘बंगीय साहित्य संस्था’ के उपदेशटा एवं ‘मुक्तकंठ साहित्य समिति’ के अध्यक्ष, ख्यातिलब्ध बांग्ला- हिंदी के कवि गोविंद पाल ने एक बांग्ला में ‘आमार कॉलोम’ और हिंदी में आज के हालात पर कटाक्ष करती कविता ‘उड़ान भरने दो मेरी स्वतंत्रता को…’ पढ़ा.
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‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा-47’ सचित्र कुछ झलकियाँ-
👉 • बृजेश्वर मल्लिक कविता कविता पाठ करते हुए…
👉 • प्रकाशचंद्र मण्डल कविता पाठ करते हुए…
👉 समरेंद्र विश्वास कविता पाठ करते हुए…
👉 पं. वासुदेव भट्टाचार्य, दुलाल समाद्दार को वृक्ष भेंट करते हुए…
👉 वीरेंद्रनाथ सरकार को वृक्ष भेंट करते हुए पं. वासुदेव भट्टाचार्य…
आभार व्यक्त चिंतनशील राष्ट्र वादी कवि बृजेश्वर मल्लिक ने किया.
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आगामी ‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा-48’ 27,जुलाई 2024 को होगा, जिसमें ‘बंगीय साहित्य संस्था’ के सक्रिय सदस्य, ‘मुक्तकंठ साहित्य संस्था’ के उपाध्यक्ष एवं सामाजिक चिंतक आलोक कुमार चंदा का जन्म दिवस मनाया जाएगा.
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