क्रिसमस के उपलक्ष्य पर लघुकथा, मानव धर्म -महेश राजा
4 years ago
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रीमा सुबह जल्दी उठकर पूजा पाठ आदि से निवृत होकर क्रिस्मस टी् सजा रही थी।
अवि पास आकर खड़ा हो गया-“मम्मी आप यह सब क्यों कर रही है।हम तो हिंदू है न।होली और दिवाली मनाते है।”
रीमा ने कहा-“,ऐसा नहीं कहते बेटू।हमें हर धर्म और त्यौहारों का आदर करना चाहिए।”
फिर वे बताने लगी आज भगवान यीशु का जन्मदिन है।उन्होंने पूरे जगत में दया भाव और एकता का पाठ पढ़ाया।
और बेटा सबसे बड़ा धर्म तो मानव धर्म होता है।हमें हर प्राणी जन और दीन हीन पर दया का भाव रखना चाहिए।
अच्छा चलो।नहा लो।मैं तुम्हारे लिये तुम्हारी पसंद का चाकलेट केक बनाती हूँ।फिर हम महान यीशु को याद कर केक काटेंगे।फिर आज तो सांताक्लॉज भी आयेंगे।तुम जो विश माँगोगे।वे पूरी करेंगे।पर,हाँ सच्चे ह्रदय से उन्हें याद करना होगा।
अवि खुश हो गया।एक अच्छे बच्चे की तरह तैयार होने चला गया।
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