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‘संकेत साहित्य समिति’ का 44 वां स्थापना दिवस : हरीश कोटक के काव्य संग्रह ‘विरासत’ का विमोचन : काव्य गोष्ठी
👉 ‘विरासत’ का विमोचन करते हुए अतिथि
छत्तीसगढ़ आसपास [रायपुर] :
पिछले 43 वर्षों से साहित्य के उन्नयन एवं विकास हेतु सतत प्रयत्नशील ‘संकेत साहित्य समिति’ के 44वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में श्री लोहाणा महापरिषद एवं श्री लोहाणा महाजन रायपुर के सहयोग से आयोजित हरीश कोटक के काव्य संग्रह ‘विरासत’ के विमोचन एवं काव्य गोष्ठी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ.चितरंजन कर, अध्यक्ष की आसंदी पर गिरिश पंकज, प्रमुख वक्ता डॉ.माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ तथा विशेष अतिथि के रूप में अब्दुस्सलाम कौसर सुख़नवर , किशन भाई मिराणी और प्रकाश भाई दावड़ा मंचासीन रहे। सरस्वती की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्जवलन , पूजा वंदन एवं अतिथियों के सम्मान के पश्चात हरीश कोटक के काव्य संग्रह विरासत का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया।
▪️ हर घर में एक कोना हो साहित्य के लिए- हरीश कोटक
👉 उपस्थित अतिथि
काव्य संग्रह ‘विमोचन’ के रचियता हरीश कोटक ने अपनी कुछ प्रमुख रचनाएँ प्रस्तुत की तथा काव्ययात्रा के प्रेरक प्रसंगों को साझा करते हुए कहा कि हर घर में एक कोना होना चाहिए साहित्य के लिए। सुखनवर ने कहा कि कवि ने बड़ी ख़ूबसूरती से जीवन के विभिन्न पहलुओं को चित्रित किया है। प्रकाश भाई दावड़ा ने कोटक के सामाजिक प्रयासों की सराहना की। शायर अब्दुस्सलाम कौसर ने कहा कि कि कोटक की कविताओं में आम आदमी का दिल धड़कता हुआ महसूस होता है।
▪️ हरीश कोटक की कविताओं में जीवन की महत्व पूर्ण सर्जना शामिल है- डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’
👉 माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’
प्रमुख वक्ता डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ ने कोटक के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हरीश कोटक की कविताओं में जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों की संशिलष्ट सर्जना शामिल है।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे गिरिश पंकज ने कहा कि कोटक की रचनाओं में निहित भावपक्ष बेहद प्रभावशाली है। मुख्य अतिथि डॉ. चितरंजन कर ने कहा हरीश कोटक की रचनाओं में भाषा की सरलता एवं संप्रेषणीयता अद्भुत दिखाई देती है। दो सत्र में संपन्न हुए कार्यक्रम के प्रथम सत्र विमोचन का संचालन शशि वरवंडकर ने तथा आभार प्रदर्शन हितेश रायचुरा ने एवं दूसरे सत्र काव्य गोष्ठी का संचालन प्रो.डॉ.सी. एल.साहू ने किया।
▪️ काव्य गोष्ठी-
👉 प्रमुख रचनाकार
काव्य गोष्ठी में भाग लेने वाले प्रमुख रचनाकारों में के.पी.राठौर, डॉ.महेंद्र कुमार ठाकुर, राजकुमार धर ‘द्विवेदी’,रामेश्वर शर्मा, अनिल श्रीवास्तव ‘जाहिद’, आर.डी. अहिरवार ‘रामा’ , राजेश जैन ‘राही’,सुनील पांडे, कुमार जगदलवी , रवीन्द्र नाथ सरकार, मुकेश कुमार सोनकर, मन्नू लाल यदु ‘नाथ’, यशवंत यदु ‘यश’, श्रवण चोरनेले ‘श्रवण’, पल्लवी झा , दिलीप वरवंडकर, सुषमा पटेल, गोपाल सोलंकी, लतीफ़ खान ‘लतीफ़’, गोपाल झा, आलिम नक्वी , रिंकी बिंदास, डॉ.दीनदयाल साहू , छविलाल सोनी, लतिका भावे ‘लता’,माधुरी कर,नवीन सोहनी ‘नवीन’, डॉ. मृणालिनी ओझा, राजेन्द्र ओझा , रीना अधिकारी, श्रद्धा पाठक, शकुंतला तरार , नीलिमा मिश्रा , विजया ठाकुर ,प्रमोद कुमार आदित्य,देवाशीष अधिकारी एवं रामगोपाल शुक्ला के नाम शामिल हैं। इस अवसर पर हरीश कोटक के परिवारजनों एवं रचनाकारों के अलावा बड़ी संख्या में राजधानी के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
आभार व्यक्त ‘संकेत साहित्य समिति’ के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ ने दिया.
[ • रपट : डॉ. नौशाद अहमद सिद्दीकी ‘सब्र’ ]
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