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- ‘बंगीय साहित्य संस्था’ के तत्वावधान में आयोजित साप्ताहिक ‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा-62’ में रचना और विचार के साथ शामिल हुए- स्मृति दत्ता, दुलाल समाद्दार, प्रकाशचंद्र मण्डल, पल्लव चटर्जी, वीरेंद्रनाथ सरकार, बृजेश मल्लिक और प्रदीप भट्टाचार्य
‘बंगीय साहित्य संस्था’ के तत्वावधान में आयोजित साप्ताहिक ‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा-62’ में रचना और विचार के साथ शामिल हुए- स्मृति दत्ता, दुलाल समाद्दार, प्रकाशचंद्र मण्डल, पल्लव चटर्जी, वीरेंद्रनाथ सरकार, बृजेश मल्लिक और प्रदीप भट्टाचार्य
‘छत्तीसगढ़ आसपास’ [इंडियन कॉफी हाउस, भिलाई निवास, भिलाई : 23, नवम्बर]
लौह नगरी भिलाई में 62 वर्ष पहले बांग्ला भाषा, रचना, विचार और रचनात्मक साहित्यिक विचार-विमर्श के लिए स्थापित की गई थी ‘बंगीय साहित्य संस्था’.
संस्था वर्ष भर साहित्यिक आयोजन के साथ प्रति सप्ताह आयोजित कर रही है ‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा’
इस सप्ताह ‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा-62’ में शामिल हुए-
‘बंगीय साहित्य संस्था’ की उप सभापति व बांग्ला की देशव्यापी लेखिका श्रीमती स्मृति दत्ता, बांग्ला में प्रकाशित लिटिल मेंगजिंन ‘मध्यबलय’ के संपादक व कवि दुलाल समाद्दार, संस्था के उपसचिव व बांग्ला के चर्चित कवि प्रकाशचंद्र मण्डल, बांग्ला के सुप्रसिद्ध कवि पल्लव चटर्जी, बांग्ला के विचारशील कवि वीरेंद्रनाथ सरकार, हिंदी व बांग्ला के राष्ट्रवादी कवि बृजेश मल्लिक और ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ के संपादक व प्रगतिशील कवि प्रदीप भट्टाचार्य.
👉 स्व. अरुण चक्रवर्ती
‘बंगीय साहित्य संस्था’ द्वारा प्रारंभ में बांग्ला भाषा में प्रकाशित ‘ओम’ पत्रिका के संपादक, बांग्ला के चर्चित कवि अरुण चक्रवर्ती को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई. अरुण चक्रवर्ती का विगत दिनों 80 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. उनकी सुप्रसिद्ध कविता है – ‘लाल पहाड़ी र देश जा…’
आज के ‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा’ में विभिन्न सम-सामयिकी विषयों पर रचना पाठ हुआ-
👉 { बाएँ से } प्रदीप भट्टाचार्य, दुलाल समाद्दार, वीरेंद्रनाथ सरकार, स्मृति दत्ता, बृजेश मल्लिक, पल्लव चटर्जी और प्रकाशचंद्र मण्डल
स्मृति दत्ता ने ‘गुणी’ और ‘जुगल प्रेम’/पल्लव चटर्जी ने ‘हैलो दीपा’ और ‘निजेर खोजे’/ बृजेश मल्लिक ने ’60 बरस’ और हिंदी कविता ‘मोबाइल’/ वीरेंद्रनाथ सरकार ने ‘स्वर्ग सुख’ और ‘नीरव पृथ्वी’/प्रदीप भट्टाचार्य ने हिंदी में ग़ज़ल/प्रकाशचंद्र मण्डल ने ‘मोने पोड्रे,सई सब दिन…’ और ‘आमी जोखोन कविता लिखते बोसी…’/ दुलाल समाद्दार ‘दोष’ और ‘जार जार निजेर अंधकार…’
आज के सभा की अध्यक्षता श्रीमती स्मृति दत्ता, संचालन प्रकाशचंद्र मण्डल और आभार व्यक्त दुलाल समाद्दार ने किया.
[ • रपट-प्रदीप भट्टाचार्य, फोटो क्लिक-पल्लव चटर्जी ]
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