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बांग्ला भाषा व रचना-विचार की साहित्यिक संस्था ‘बंगीय साहित्य संस्था’ द्वारा बांग्ला लिटिल पत्रिका ‘मध्यबलय’ अंक-58 का विमोचन
‘छत्तीसगढ़ आसपास’ [भिलाई निवास। इंडियन कॉफी हाउस। 7 दिसम्बर 2024]
👉 {बाएँ से} आलोक कुमार चंदा, मिहिर समाद्दार, समरेंद्र विश्वास, पल्लव चटर्जी, प्रदीप भट्टाचार्य, गोविंद पाल, प्रकाशचंद्र मण्डल, दुलाल समाद्दार, बानी चक्रवर्ती, स्मृति दत्ता, सोमाली शर्मा, रविंद्रनाथ देबनाथ और बृजेश मल्लिक
विगत 60 वर्षों से संचालित ‘बंगीय साहित्य संस्था’ के तत्वावधान में प्रति सप्ताह आयोजित ‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा-64’ में संस्था द्वारा बांग्ला भाषा में प्रकाशित लिटिल पत्रिका ‘मध्यबलय’ के पूजा शारदीय अंक-58 का विमोचन किया गया. इस अवसर पर ‘मध्यबलय’ के संपादक दुलाल समाद्दार, प्रकाशक मिहिर समाद्दार, ‘बंगीय साहित्य संस्था’ की सभापति श्रीमती बानी चक्रवर्ती और उप सभापति श्रीमती स्मृति दत्ता भी उपस्थित हुए.
‘मध्यबलय’ पत्रिका के विमोचन पर उपस्थित थे-
* ‘बंगीय साहित्य संस्था’ की सभापति एवं बांग्ला-अंग्रेजी की लेखिका व कवयित्री श्रीमती बानी चक्रवर्ती.
* ‘बंगीय साहित्य संस्था’ की उप सभापति एवं बांग्ला की लेखिका स्मृति दत्ता.
* ‘मध्यबलय’ के संपादक एवं बांग्ला कवि दुलाल समाद्दार.
* ‘बंगीय साहित्य संस्था’ के उप सचिव एवं बांग्ला कवि प्रकाशचंद्र मण्डल.
* ‘बंगीय साहित्य संस्था’ के सलाहकार एवं कवि गोविंद पाल.
* ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ के संपादक एवं प्रगतिशील कवि प्रदीप भट्टाचार्य.
* बांग्ला कवि समरेंदू विश्वास.
* बांग्ला कवि पल्लव चटर्जी.
* बांग्ला कवयित्री श्रीमती सोमाली शर्मा.
* राष्ट्रवादी कवि बृजेश मल्लिक.
* हिंदुत्ववादी कवि पं. वासुदेव भट्टाचार्य.
* ‘मध्यबलय’ पत्रिका के प्रकाशक मिहिर समाद्दार.
* बांग्ला साहित्यिक चिंतक रविंद्रनाथ देबनाथ.
और
* समाजसेवी आलोक कुमार चंदा.
प्रारंभ में दुलाल समाद्दार के संपादन में प्रकाशित ‘मध्यबलय-58’ का विमोचन उपस्थित सदस्यों ने किया. पत्रिका में स्थानीय रचनाकारों के साथ-साथ देश-विदेशों के 125 लेखकों की कविता/कहानी/लेख एवं अन्य साहित्यिक खबरों को स्थान दिया गया है. ‘मध्यबलय-58’ का यह पूजा शारदीय विशेषांक लगभग 300 पृष्ठ का है. आवरण चित्र भी आकृषित करती है.
इस अवसर पर सभी उपस्थित सदस्यों द्वारा बांग्ला-हिंदी में कविता पाठ हुआ-
👉 • कविता पाठ करती हुई सोमाली शर्मा
👉 • समरेंद्र विश्वास कविता पाठ करते हुए…
👉 • स्मृति दत्ता कविता पाठ करती हुई…
👉 • पं. वासुदेव भट्टाचार्य कविता पाठ करते हुए…
बानी चक्रवर्ती ने अमृता प्रीतम की कुछ रचना और एक कविता ‘तमसा’/स्मृति दत्ता ने आड्डा से संबंधित कुछ जानकारी व प्रतिवेदन/दुलाल समाद्दार ने ग्राम्य परिवेश को लेकर उड़िया कविता/प्रकाशचंद्र मण्डल ने बांग्ला देश के ज्वलंत मुद्दों को लेकर एक कविता ‘भयंकर प्रभात’/गोविंद पाल ने प्रकाश चंद्र मण्डल की आने वाली हिंदी काव्य संग्रह ‘फिर भी चलना होगा!’ में लिखी प्रस्तावना और एक कविता ‘आईना-र-मुखो मुखी’/प्रदीप भट्टाचार्य की हिंदी में लिखी कविता ‘लोकतंत्र’ का बांग्ला अनुवाद गोविंद पाल ने किया. इस रूपांतर कविता ‘मध्यबलय-58’ में प्रकाशित हुई है. कविता का पाठ प्रकाशचंद्र मण्डल ने किया/पं. वासुदेव भट्टाचार्य ने ‘ईश्वर’/मिहिर समाद्दार ने शिक्षा याने सिख्का/बृजेश मलिक ने ‘सम्योर प्रोतिनिधित्व’ संग्रह से शीर्षक कविता/पल्लव चटर्जी ने ‘आमादेर कोबे मानुष भाब बे…’ और ‘तोमाय भालो बासी’/समरेंद्र विश्वास ने ‘मध्य बलय-58’ में प्रकाशित कुछ कवियों की रचना/
सोमाली शर्मा ने ‘हिमानी प्रभात’ और आलोक कुमार चंदा ने कवि प्राण गोविंद साहा की कविता ‘ छोटो-ऐ-जीबोन को पढ़ा.
आज के ‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा-64’ की अध्यक्षता बानी चक्रवर्ती, संचालन प्रकाशचंद्र मण्डल और आभार व्यक्त स्मृति दत्ता ने किया.
[ • रपट, प्रदीप भट्टाचार्य और फोटो क्लिक पल्लव चटर्जी ]
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