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- ‘बंगीय साहित्य संस्था’ द्वारा प्रति सप्ताह आयोजित ‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा-66’ में शामिल हुए- डॉ. भवानी प्रसाद मुखर्जी, स्मृति दत्ता, दुलाल समाद्दार, प्रकाशचंद्र मण्डल, पं. बासुदेव भट्टाचार्य, बृजेश मल्लिक, आलोक कुमार चंदा और प्रदीप भट्टाचार्य : ‘मध्यबलय’ भेंट व काव्य पाठ
‘बंगीय साहित्य संस्था’ द्वारा प्रति सप्ताह आयोजित ‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा-66’ में शामिल हुए- डॉ. भवानी प्रसाद मुखर्जी, स्मृति दत्ता, दुलाल समाद्दार, प्रकाशचंद्र मण्डल, पं. बासुदेव भट्टाचार्य, बृजेश मल्लिक, आलोक कुमार चंदा और प्रदीप भट्टाचार्य : ‘मध्यबलय’ भेंट व काव्य पाठ
👉 {बाएँ से} बृजेश मल्लिक, आलोक कुमार चंदा, प्रदीप भट्टाचार्य, प्रकाशचंद्र मण्डल, दुलाल समाद्दार, स्मृति दत्ता, डॉ. भवानी प्रसाद मुखर्जी और पं. बासुदेव भट्टाचार्य.
‘छत्तीसगढ़ आसपास’ [भिलाई निवास के कॉफी हाउस: 21 दिसम्बर, 2024 : रिपोर्ट, प्रदीप भट्टाचार्य]
60 वर्षो से लौहनगरी भिलाई में साहित्य व बांग्ला संस्कृति को जीवंत रखती साहित्यिक संस्था ‘बंगीय साहित्य संस्था’ के तत्वावधान में प्रति शनिवार को आयोजित ‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा-66’ के इस शनिवार { 21 दिसम्बर }को शामिल हुए-
* ‘बंगीय साहित्य संस्था’ के पूर्व अध्यक्ष व बांग्ला-अंग्रेजी के 94 वर्षीय वयोवृद्ध लेखक डॉ. भवानी प्रसाद मुखर्जी.
* ‘बंगीय साहित्य संस्था’ की उप सभापति एवं बांग्ला में प्रकाशित 10 कृति की वयोवृद्ध लेखिका श्रीमती स्मृति दत्ता.
* ‘बंगीय साहित्य संस्था’ के उप सचिव, प्रवक्ता एवं बांग्ला व हिंदी में प्रकाशित चार कृति के कवि प्रकाशचंद्र मण्डल.
* बांग्ला में प्रकाशित लिटिल पत्रिका ‘मध्यबलय’ के संपादक एवं बांग्ला-हिंदी के कवि दुलाल समाद्दार.
* ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ के संपादक व प्रगतिशील कवि प्रदीप भट्टाचार्य.
* बांग्ला-हिंदी के राष्ट्रवादी कवि, चिंतक बृजेश मल्लिक.
* भारत सेवाश्रम संघ द्वारा संचालित ‘हिंदू मिलन मंदिर’ के पुरोहित एवं बांग्ला व हिंदी के कवि पं. बासुदेव भट्टाचार्य.
और
* सामाजिक व साहित्यिक चिंतक आलोक कुमार चंदा.
👉 ▪️’मध्यबलय-58′ की प्रति डॉ. भवानी प्रसाद मुखर्जी को भेंट करते हुए {बाएँ से} दुलाल समाद्दार, प्रकाशचंद्र मण्डल, प्रदीप भट्टाचार्य, बृजेश मल्लिक, डॉ. भवानी प्रसाद मुखर्जी और पं. बासुदेव भट्टाचार्य.
विचार-विमर्श के प्रारंभ में ‘ मध्यबलय’ के संपादक ने इस माह प्रकाशित ‘मध्यबलय-58’ पूजा शारदीय अंक की प्रति डॉ. भवानी प्रसाद मुखर्जी को ससम्मान भेंट की. डॉ. मुखर्जी ने संपादक को साधुवाद देते हुए पत्रिका की गुणवत्ता पर प्रकाश डाला और इस अंक में प्रकाशित सभी रचनाकारों को तहेदिल से बधाई दी. यह पत्रिका हमारे लिए और ‘बंगीय साहित्य संस्था’ के लिए गौरव की बात है. ‘मध्यबलय’ की निरंतरता बनी रहे, शुभकामना है.
▪️ • डॉ. भवानी प्रसाद मुखर्जी
डॉ. भवानी प्रसाद मुखर्जी ने काव्य पाठ प्रारंभ करते हुए ‘जीबोन यात्रा’ पर अपनी बात रखी. सार्थक व सारगर्भित थी जीवन यात्रा की लघु रचना.
▪️ काव्य पाठ करते हुए अन्य और कवि {बाएँ से} • प्रकाशचंद्र मण्डल • स्मृति दत्ता • पं. बासुदेव भट्टाचार्य • बृजेश मल्लिक • प्रदीप भट्टाचार्य • दुलाल समाद्दार • आलोक कुमार चंदा.
• प्रकाशचंद्र मण्डल ने ‘प्रेमी कवि’ शीर्षक पर एक मार्मिक कविता का पाठ किया. • स्मृति दत्ता ने झारखंड से प्रकाशित डॉ. दीपक कुमार सेन के संपादन में बांग्ला पत्रिका ‘शिल्पी अन्नय’ में उनकी प्रकाशित लघुकथा ‘ न्यूट्रोन’ का पाठ किया. • पं. बासुदेव भट्टाचार्य ने ‘देश हमें देता है सबकुछ…’ और ‘ठाकुर दा की कोथा.. ‘ शीर्षक से कविता का पाठ किया. • बृजेश मल्लिक ने कृतिकार प्रकाश चंद्र मण्डल के काव्य संग्रह से एक कविता ‘एक फाली रोद्दुर’ और दूसरी कविता ‘महिला सम्मान महिला दिवस’ पर मार्मिक कविता का पाठ किया. • प्रदीप भट्टाचार्य ने छोटी- छोटी प्रगतिशील रचना ‘मैं हर वक़्त को त्योहार बना लेता हूँ…’ और ‘ ‘मैं पतझड़ की नहीं…’ की गंभीर, समाज में हो रही सम सामयिकी रचना को पढ़ा. • दुलाल समाद्दार ने दो अति महत्वपूर्ण रचना को पढ़ा. शीर्षक था ‘आरोग्य’ और ‘मानुष’ {मनुष्य} पर 2 रचना. अंत में • आलोक कुमार चंदा ने प्रकाशचंद्र मण्डल के संग्रह ‘एक फाली रोद्दुर’ में प्रकाशित रचना का पाठ किया. शीर्षक था- ‘आमी आबार आसबो फिरे…’
आज ‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा-66’ की अध्यक्षता की डॉ. भवानी प्रसाद मुखर्जी, संचालन किया प्रकाशचंद्र मण्डल और आभार व्यक्त की श्रीमती स्मृति दत्ता ने.
[ • रपट, प्रदीप भट्टाचार्य और फोटो क्लिक दुलाल समाद्दार ]
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