लघुकथा

4 years ago
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●स्वरूचि भोज
-महेश राजा

-” भ ई वाह!बधाई हो।आपकी गोष्ठी बहुत सफल रही।श्रोताओं ने अच्छी कविताओंको खूब सराहा।आपकी रचनाओं को भी बहुत वाहवाही मिली।”मित्र ने कहा।
कुछ देर रुक कर सोच कर वे फिर बोले-
-“भाई,कुछ भी कहो,आपने जिन श्रोताओं को आमंत्रित किया था,बडे प्रबुद्ध थे।साहित्य की समझ थी उनमें।गोष्ठी शुरु होने से पहले जो आकर जमे तो अंत तक कोई उठ कर नहीं गया ,अपने घर।”

आयोजक मुस्कुराये_”इस गोष्ठी की सफलता के लिये ही हमने काव्य पाठ के बाद स्वरूचि भोज का आयोजन रखा था।”

●लेखक संपर्क-
●94252 01544

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