साहित्य आसपास
●कसौटी गद्य पद्य के
-मयारू मोहन कुमार निषाद
आप सब जानत हव लिखे के कइ ठन कइ किसम के विधा होथे , जेमा गद्य अउ पद्य विधा ला बड़का माने गेहे । गद्य विधा के लेखन म कहानी नाटक एकांकी उपन्यास संस्मरण जीवनी यात्रा वृत्तांत डायरी जइसन अउ कइ किसम के आलेख लिखे जाथे । गद्य लिखना जतका सरल दिखथे नही ओ हा ओतके कठिन घलव हवै , हम कविता रचना कहिन चाहे कहानी लेखन येमन एक कवि मन के अपन अन्तस् के मनोभाव के उदगार होथे । जउन ला कवि लेखक मन हर अपन कलम के धार म बोहावत अपन कल्पना ले गीत कविता कहानी नाटक के सरूप देथे ।
कोनो भी रचना के लेखन म कोनो भी विधा के महत्तम ओतके होथे जतेक महत्तम एक गीत म संगीत के होथे ।
अब हम गोठ करथन विधा के कसौटी मन के , तव हम सबले पहिली जानथन कसौटी ल कसौटी कोनो भी रचना लेखन के कसावट ल कहे जाथे । अपन रचना के लेखन म जतेक जादा कसावट लाना एक कवि के अपन ऊपर होथे , की आप जउन विषय ऊपर लिखत हव आप वो विषय ऊपर कतेक गम्भीरता ले विचार करथव अउ ओखर कतेक गहराई मा उतरथव ये आपके अपन ऊपर हे । आप जतेक गम्भीरता ले सोच विचार के लिखहव आपके रचना म ओतके कसावट आही ।
गद्य लेखन करे बर व्याकरण जरूरी होथे , बिना शुद्ध व्याकरण के गद्य के कोनो भी विधा मा कसावट नइ लाय जा सकय अउ ना आवय तेपाय के व्याकरण ला गद्य के कसौटी कहे जाथे । ओइसने पद्य रचना म घलव कइ किसम के रचना करे जाथे अउ अभी भी करे जावत हे , फेर हमर अभी के नवा पीढ़ी के साहित्यकार मन हर रचना मन में ये कसौटी अउ कसावट लाय जइसन शब्द मन ले जादा परिचित नइये । काबर पहिली तो उनला कोन्हों एको बेर बताय नइ होही , अउ दूसर बात या तो उन जान के ओला समझे के प्रयास नइ करिन होही ।
अइसन प्रकार के जानकारी आपला हिंदी म तो कतकोन मिल जही फेर हमर छत्तीसगढ़ी साहित्य म बहुत कम पढ़े बर देखे बर अउ सुने बर मिलथे । आज कल लोगन मन पढ़ना कम अउ लिखना जादा करथे , जबकि हमर सियान मन कहिथे तँय जतेक जादा पढ़बे ओतके सुग्घर रचना घलव गढ़बे । पढ़े ले रचना के कसावट हर समझ म आथे , एक अच्छा साहित्य गढ़े बर अच्छा साहित्य पढ़े बर परथे । अब हम गोठ करथन पद्य रचना के कसौटी के बारे म तव गद्य असन ही पद्य के घलव अपन कइ किसम के विधा हावय जउन मन ला हमन कविता गीत गजल सजल मुक्तक नवगीत हाइकु माहिया घनाक्षरी कहमूकरी दोहा कुण्डलियाँ गीतिका सवैया अइसने कइ किसम के सब विधा मन हावय जउन ल हमन जानथन अउ लिखथन ।
जइसे हम पहिली जानेन की गद्य के कसौटी व्याकरण हर होथे ओइसने अब हम जानबोन की पद्य के कसौटी कोन हर आय । पद्य म कुछ रचना मात्रा म बाँध के लिखे जाथे जइसे गजल सजल मुक्तक मन ल ऊँखर बहर मापनी के हिसाब ले । ओइसने दोहा कुण्डलियाँ सोरठा गीतिका अउ सवैया मन ला ऊँखर मात्राबाँट के हिसाब ले मात्रा म बाँध के लिखे जाथे । अइसन कइ प्रकार के छंद हावय जिंकर मन के सब के अपन अपन अलग अलग छंद विधान हवै , जउन मन ला उनकर मात्राबाँट विधान के हिसाब ले लिखे बर परथे । जब तक कोनो भी रचना चाहे ओ सजल होय गजल होय मुक्तक होय चाहे कोनो छंद रचना राहय जब तक ओ विधान सम्मत नइ रइही तब तक हम ओला कोनो भी विधा के नाव नइ दे सकन ।
काबर छंद रचना मन में ओखर विधान हर ही ओखर कसावट आय , कोनो भी रचना ला कोनो भी छंद के मात्राबाँट म बाँध के लिखना कोनो सहज बात नोहय ।
तेपाय के साहित्य जगत म छंद रचना अउ छंदकार मन के अपन अलग महत्तम होथे , अउ मुक्त विधा के रचना मन के तुलना म छंदबद्ध रचना मन के जघा जादा ऊँचा होथे । काबर छंदबद्ध रचना हर अपन आप म अनुशासित विधान अउ व्याकरण सम्मत रचना होथे , तब हम आखिर म कहि सकथन की जइसे : – गद्य लिखे बर गद्य के कसौटी व्याकरण हर होथे , ओइसने पद्य म रचना लिखे बर छंद हर पद्य के कसौटी होथे ।
【 ●गांव-लमती,भाटापारा, जिला-बलौदाबाजार, छत्तीसगढ़ के मयारू मोहन कुमार निषाद,छत्तीसगढ़ी लेखक के रूप चर्चित नाम हैं
●’छत्तीसगढ़ आसपास’ में उनकी ये पहली छत्तीसगढ़ी रचना है, वीवर्स/पाठक अपनी राय से अवगत करायें. -संपादक 】