गीत
●अरमानों की चिता जलाकर,
●क्यों कर करना शोक
-शुचि ‘भवि’
अरमानों की चिता जलाकर
क्योंकर करना शोक
राजनीति से कम मत समझो
वर्तमान का प्रेम
आज सिकंदर भी हारेगा
ये है ऐसा गेम
भला इसी में है ख़ुद को सब
फँसने से लें रोक
अंग्रेज़ी गानों पर थिरकें
बच्चे और जवान
जिसको देखो उसके मुँह में
बस अंग्रेज़ी तान
बीत गए दिन जब हम सुनते
थे घर घर में श्लोक
हरपल उनको बस यह चिंता
बोलेंगे क्या लोग
निज उन्नति से दूर हुए सब
याद रहा बस भोग
झूठ कपट से ही तो बनता
‘भवि’ मानव डरपोक
【 ●भिलाई से छत्तीसगढ़ की कवयित्री, शुचि ‘भवि’ निरंतर रचनात्मक लेखन से जुड़ीं हुई हैं, ‘छत्तीसगढ़ आसपास’,वेबसाइट वेब पोर्टल के लिये इसके पूर्व भी उनकी कविताएँ/गीत प्रकाशित की गई हैं पूर्व में प्रकाशित रचनाओं को पाठकों/वीवर्स से अच्छी प्रतिक्रिया मिली आज़ एक गीत प्रस्तुत है, कैसी लगी, जरूर लिखें,खुशी होगी. -संपादक
●कवयित्री संपर्क-
●98268 03394 】