सुमित सिंह ह्यूस्टन, अमेरिका से
【 अमेरिका निवासी सुमित सिंह ह्यूस्टन,’छत्तीसगढ़ आसपास’ के वेबसाइट वेब पोर्टल से प्रभावित होकर, अपनी एक रचना भेजी. सुमित जी,अंग्रेजी, हिंदी, ऊर्दू औऱ फ्रेंच के जानकार हैं हिंदी में लिखी उनकी पहली रचना,उनके आग्रह पर’छत्तीसगढ़ आसपास’ में स-सम्मान प्रकाशित कर रहे हैं. ख़ुशी इस बात की है कि’छत्तीसगढ़ आसपास’ वेब पोर्टल को अमेरिका में भी देखा गया. आपको बताते हुए हर्ष हो रहा है कि ‘छत्तीसगढ़ आसपास, वेब पोर्टल’ को प्रारंभ हुये, अभी सिर्फ़ 5 महीने ही होने जा रहे हैं और इसके वीवर्स 1,00,000+ [1 लाख+] हो गये हैं. अमेरिका निवासी सुमित जी का विशेष आभार, आपने ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ से जुड़कर, अपनी रचनाओं को शेयर करने का आग्रह किया,बहुत-बहुत शुक्रिया । आभार । ●संपादक एवं संपादकीय बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर
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●ग़ज़ल
आदतन बेआदतन
आदतन बेआदतन मुस्कुरा देते हो,
बदलते मौसम में ऐसे मुस्कुराना तो ठीक नहीं।
वादे करके अकसर भूल जाते हो,
यूँ वादे करके बहलाना तो ठीक नहीं।
खोल तो देते हो देखकर दरवाज़ा,
पर दहलीज़ पे ऐसे नज़रें चुराना तो ठीक नहीं।
उठा तो दिया नींद से मुझे फिर,
ख़्वाबों के ऐसे जादू चलाना तो ठीक नहीं।
बहता जा रहा था मैं कहीं,
आवारा लहरों से ऐसे खेल जाना तो ठीक नहीं।
पढ़ना तो चाहते हो ख़त वो पुराना
पर उस ख़त को आधे मन से उठाना तो ठीक नहीं।
चलो माना कि पढ़ भी लिया तुमने,
पर लफ़्ज़ों के मायने बदल जाना तो ठीक नहीं।
चलो खुद से खुद को कभी जाँच लेना,
पर ये तुम्हारा नया पैमाना तो ठीक नहीं।
यूँ तो ख़ुशबू उन पलों की जाती नहीं,
फिर उन फूलों को किताबों में दबाना तो ठीक नहीं।
इस सावन में भी फुहारों के मज़े ले लेना,
बारिशों से खुद को बचाना तो ठीक नहीं।
पहले तो रखते थे लड़ने का हौसला तुम,
अब कहते हो ज़माना तो ठीक नहीं।
माँग लिया वापस जो हक़ से दिया था कभी,
ऐसा भी नज़राना तो ठीक नहीं।
हुए थे साथ तो बस दो लम्हात को,
एक लम्हे में ऐसे बदल जाना तो ठीक नहीं।
खुद से लड़ लेना फिर कभी,
खुद को ऐसे आज़माना तो ठीक नहीं।
डूबता जा रहा था मैं,
साहिल पे ला के छोड़ जाना तो ठीक नहीं।
पुरानी लिखी ग़ज़लें अभी सूखी भी नहीं,
उन पन्नों को ऐसे उड़ाना तो ठीक नहीं।
मश्वरा दे गए थे भूल जाऊँ तुम्हें,
पर उस एक को भूल जाना तो ठीक नहीं।
लिपट लेते थे कुछ यूँ अकसर,
आख़िरी बार ऐसे गले से लगाना तो ठीक नहीं।
बदलेंगे अभी और मौसम
बदलते मौसम में ऐसे मुस्कुराना तो ठीक नहीं।
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