विमोचन
●हिंदी साहित्य भारती, छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित
●महेन्द्र वर्मा रचित ‘सच के झरोखे से’ पुस्तक का विमोचन
●विशेष उपस्थिति-
डॉ. चितरंजन कर,अरुण कुमार निगम,डॉ. हंसा शुक्ला, जगदीश देशमुख,
हिंदी साहित्य भारती छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित महेन्द्र वर्मा की नई पुस्तक “सच के झरोखे से” के विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि की आसंदी से डाॅ चित्तरंजन कर ने कहा कि ‘कोई भी कृतिकार अमर नहीं होता किन्तु उसकी कोई रचना अमर हो जाती है ।’ उन्होंने कहा कि सत्य तो निरपेक्ष होता है लेकिन सच लौकिक दृष्टिकोण को व्यक्त करता है । इस पुस्तक का शीर्षक और इसकी विषयवस्तु उसी लौकिक सच को विभिन्न संदर्भों में उद्घाटित करती है । डॉ. कर ने पुस्तक के इस अंश का विशेष उल्लेख किया – ‘ऋग्वैदिककालीन देवताओं – द्यु, आपः, मरुत, इंद्र, अग्नि, पर्जन्य, ऊषा, सोम, सविता, पृथ्वी आदि की विशेषताओं को उन लोगों ने जाना जिन्हें आज हम वैज्ञानिक कहते हैं । यदि ईश्वर की लीला का चिंतन-मनन करने वालों को धार्मिक और आस्तिक कहा जाता है तो ऐसे महान वैज्ञानिक ही सच्चे अर्थों में धार्मिक और आस्तिक हैं क्योंकि वे सृष्टि की सर्वोच्च सत्ता ऊर्जा और उससे निर्मित पदार्थों की निरंतर ‘उपासना’ करते हैं।
विमोचन समारोह की अध्यक्षता करते हुए छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध छंदकार श्री अरुण निगम ने कहा- ‘इस पुस्तक के सभी आलेख महत्वपूर्ण शोध-आलेख के समान हैं । लेखक ने परिश्रमपूर्वक विभिन्न आलेखों में संबंधित तथ्यों के मूल कारणों तक पहुंचने का प्रयास किया है ।। स्वामी स्वरूपानन्द महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला कार्यक्रम की प्रमुख वक्ता थीं । उन्होंने पुस्तक के एक आलेख ‘सच क्या है’ का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कहा कि यह आलेख सम्पूर्ण पुस्तक का प्रतिनिधित्व करता है। इस पुस्तक में अलग-अलग लेखों के माध्यम से विभिन्न तथ्यों के कारणों की तार्किक पड़ताल करता है। साहित्यकार जगदीश देशमुख ने अपने उद्बोधन में पुस्तक के महत्वपूर्ण बिंदुओं को रेखांकित करते हुए कहा कि यह पुस्तक गंभीर विषयों की सारगर्भित और सरल विवेचना करती है।
हिन्दी साहित्य भारती के प्रदेशाध्यक्ष बलदाऊ राम साहू के अयोजकत्व में सम्पन्न इस कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों के द्वारा माँ सरस्वती के पूजन-अर्चन से हुआ । श्री बलदाउ राम साहू के स्वागत उद्बोधन में कहा कि यह 32 पृथक पृथक विषयों पर लिखा गया आलेखों का संग्रह है जिसमें लोक से लेकर अध्यात्म तक समस्त विषयों पर सूक्ष्म चिंतन किया गाया है। मेरी जानकारी में छत्तीसगढ़ के साहित्यकाश में यह पहली पुस्तक है जो इतने गंभीर विषयों को लेकर लिखी है। लेखकीय वक्तव्य में महेन्द्र वर्मा ने कहा कि अध्ययनशीलता सच और भ्रम को अलग—अलग चिह्नित कर देती है । सामान्य जन-मानस में व्याप्त भ्रम ने इस पुस्तक को लिखने की प्रेरणा दी ।
कार्यक्रम के अंत में अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट किया गया । लोक-गायक और गीतकार श्री सीताराम साहू ‘श्याम’ ने कार्यक्रम का संचालन किया । उन्होंने विमोचित पुस्तक के शीर्षकों को लेकर लिखी गई स्वरचित कविता भी प्रस्तुत की । विशेष रूप से पधारे श्री मोती लाल साहू ने बांसुरी वादन प्रस्तुत किया । आभार प्रदर्शन डॉ. बी. रघु ने किया । कार्यक्रम में श्रीमती माधुरी कर, पूना राम साहू, डाॅ सुजाता सिंह, मोती लाल साहू, शुभेन्दु बागची, डाॅ आशीष साहू, प्यारे लाल देशमुख इत्यादि साहित्यकार उपस्थित थे ।
【. ●न्यूज़ डेस्क,’छत्तीसगढ़ आसपास’. ●प्रिंट एवं वेब पोर्टल, न्यूज़ ग्रुप समूह,रायपुर,छत्तीसगढ़. 】
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