गुजरात आसपास
●इच्छा, सही उद्देश्य, कड़ी मेहनत, निर्धारित लक्ष्य एवं ईमानदारी वयक्ति को ही आगे बढ़ने का राह आसान करती है-डॉ. बजरंगलाल माहेश्वरी
●वेबिनार का आयोजन-
पारुल विश्वविद्यालय, वड़ोदरा
गुजरात । वड़ोदरा । वड़ोदरा स्थित पारूल विष्वविद्यालय में संचालित फेकल्टी ऑफ आर्टस, पारूल इंस्टीट्यूट ऑफ आर्टस के तहत डिपार्टमेंट ऑफ इकॉनोमिक्स की आरे से विगत दिनों एम्पलॉयमेंट ओर एन्टरप्रन्योर विषय पर वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबीनार के मुख्य अतिथि, एक्वाप्रुफ ग्रुप, मुम्बई के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. बजरंगलाल माहेष्वरी ने फेकल्टी सदस्यों, विद्यार्थियों एवं प्रतिभागियों को संबोधित किया।
वेबीनार में बतौर मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता डॉ. बजरंगलाल माहेष्वरी ने कहा कि कई बार हमंे नौकरी पारिवारिक स्थिती के अनुसार करनी पड़ती है। कई बार नौकरी ग्रेजुएषन करते हुए सोलह साल की उम्र में भी करनी पड़ती है। कई बार हमें नौकरी ग्रेजुएषन के बाद तो कई बार पोस्ट ग्रेजुएषन के बाद करनी पड़ती है। यह परिस्थिति पर निर्भर करता है कि नौकरी कब करें। नौकरी की आवयकता है। घर का बिजनेस नहीं है। ग्रेजुएषन करने के बाद यदि पिताजी के व्यापार में सपोर्ट करना है तो व्यापार में जा सकते है। आगे पढ़ने की इच्छा नहीं है। इस कारण से व्यक्ति नौकरी करती है। आज के जमाने में ग्रेतुएषन की इतनी वेल्यू नहीं है। वर्तमान में कोरोना वायरस ने सभी प्रकार से परिवर्तन ला दिया है। बिजनेस एवं व्यापार दोनों ही करने के लिये उच्च षिक्षा जरूरी है। उच्च षिक्षा में सीए, एमबीए, डाक्टर, इंजिनियर एवं आर्किटेक्चार सहित किसी भी प्रकार की उच्च प्रोफेषनल षिक्षा ली जा सकती है। सभी प्रकार की प्रोफेषन उच्च षिक्षा में दो आप्षन है। यदि नौकरी में एक निर्धारित तनख्वाह मिलती है तो क्या पर्याप्त है। नौकरी में क्या मेहनत नहीं करनी पड़ती है। नौकरी में क्या कोई टेंषन नहीं है। नौकरी में क्या निकाला नहीं जाता हे। नौकरी में क्या भविष्य उज्जवल नहीं है। नौकरी जाने का डर नहीं रहता है इन सभी बिंदुओं पर अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने सरकारी एवं प्राईवेट नौकरी करने उनके सकरात्मक एवं नकारात्मक पहलुओं पर विस्तार से प्रकाष डाला। इसके साथ ही उन्होंने व्यापार कब करना चाहिये एवं क्यों करना चाहिये के बारे में जानकारी दी एवं इसके सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलुओं पर भी विचार व्यक्त किये।
डॉ. माहेष्वरी ने नौकरी कब करना चाहिये। नौकरी कहां करनी चाहिये। नौकरी कैसे करनी चाहिये। नौकरी क्यो करनी चाहिये आदि के बारे में विस्तार से समझाया। उन्होंने सरकारी एज्यूकेषन में भी बदलाव पर बल दिया। उन्होंने नौकरी करने के लिये स्थान के चयन की बात कही। उन्होंने कहा कि इच्छा, उद्ेदष्य, कडी मेहनत, लक्ष्य, ईमानदारी व्यक्तिी को आगे बढ़ाती है। दो नंबर का पैस करता है बरबाद इसलिये ईमानदारी से नौकरी करनी चाहिये। नौकरी पर हमेषा फोकस करें, डेडीकेषन के साथ काम करें, लॉयलटी, अनुषासन, कठिन परिश्रम एवं स्मार्ट वर्किग, पोजेटिव एटीट्यूट पर बल दिया।
पारूल विष्विद्यालय के डीन, फेकल्टी ऑफ आर्टस, प्रिंसिपल पारूल इंस्टीट्यूट ऑफ आर्टस एवं प्रोफेसर जर्नलिज्म एंड मॉस कम्यूनिकेषन, प्रो. डॉ. रमेष कुमार रावत ने वेबीनार के आरंभ में डॉ. बजरंगलाल माहेष्वरी का स्वागत उद्बोधन के माध्यम से स्वागत किया एवं वेबीनार के अन्त में आभार जताया। वेबीनार में देष के विभिन्न प्रदषों से सैकंडो विद्यार्थियों, षिक्षकों, शोधार्थियों एवं पत्रकारों ने भाग लिया।
【 ●न्यूज़ डेस्क,’छत्तीसगढ़ आसपास’, ●प्रिंट एवं वेब पोर्टल, न्यूज़ ग्रुप समूह,रायपुर,छत्तीसगढ़. ]
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