दलित बच्चे था बीमार, ग्रामीणों ने कहा शुद्धिकरण के बाद ही गांव में रहने दिया जाएगा मानवता को शर्मशार करने वाली एक और घटना
ओडिशा राज्य से एक बेहद ही शर्मनाक घटना प्रकाश में आया है यहां एक 7 साल के दलित बच्चे को जन्म से ही त्वचा सम्बन्धी बीमारी थी जिसके चलते गांव वालों ने ‘शुद्धिकरण’ करने के लिए परिवार वालों को काफी मजबूर कर दिया. गांव के लोगो ने बच्चे को दोबारा गांव में स्वीकार करने के लिए शुद्धिकरण पर दस हजार रुपए खर्च करने के लिए कहा जिसमें सामुदायिक दावत देना शामिल था.
गांव के लोगो का कहना है कि यह बीमारी अशुभ हैं और गांव के बाकी लोगों को भी ये बीमारी लग सकती है और पवित्रीकरण के सामुदायिक दावत दिए जाने के लिए परिवार को बाध्य किया गया. यह मामला 2 हप्ते पहले की है जहां गंजम जिले के जगन्नाथ प्रसाद ब्लॉक के बघुआ गांव में एक दलित परिवार को इसलिए ही परेशान किया जा रहा है क्योंकि उनके बच्चे को त्वचा की एक जन्मजात बीमारी है. इस बीमारी में बच्चे के शरीर पर डार्क धब्बे (चकत्ते) उग आए हैं.
गंजाम जिले के कलेक्टर विजय अमृता कुलंगे ने मीडिया में खबर फैलने से इस बात के लिए स्वयं संज्ञान लिया और कहा है कि ”परिवार ने एसडीएम से मुलाक़ात की है. हमने पीड़ित परिवार के लिए दस हजार रुपए की मंजूरी दे दी है और तहसीलदार से इस घटना की जांच करने के लिए कह दिया”.
सुप्रसिद्ध प्लास्टिक सर्जन डॉक्टर बिभूति भूषण नाइक इस बच्चे की मदद के लिए सामने आए हैं.