केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा में भाषा संवर्धनात्मक पाठ्यक्रम मिजोरम का ऑनलाइन समापन कार्यक्रम
●नवीनकरण एवं भाषा प्रसार विभाग द्वारा हिंदी शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, आइजोल -मिजोरम का संवर्धनात्मक पाठ्यक्रम का ऑनलाइन आयोजन
●विशेष उपस्थित-
श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी, प्रो.देवीप्रसाद द्विवेदी, अनिल शर्मा’जोशी’,प्रो.बीना शर्मा, प्रो.उमापति दीक्षित.
●कार्यक्रम संयोजक-डॉ. दिग्विजय कुमार शर्मा
आइजोल । मिजोरम । नवीकरण एवं भाषा प्रसार विभाग द्वारा हिंदी शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, आइजोल मिजोरम के विद्यार्थियों हेतु दिनांक 01.02.2021 से 12.02.2021 तक भाषा संवर्धनात्मक पाठ्यक्रम का आॅनलाइन प्रशिक्षण आयोजन किया गया। आज उक्त पाठ्यक्रम का दिनांक 12.02.2021 को अपराह्न 02.00 बजे से समापन कार्यक्रम संपन्न किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी, माननीय कुलपति, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय वि.वि., अमरकंटक, मध्यप्रदेश, विशिष्ट अतिथि रहे पद्मश्री एवं पद्मभूषण से सम्मानित प्रो. देवी प्रसाद द्विवेदी, आधुनिक भारतीय एवं भाषाविज्ञान विभाग, संपूर्णानंद संस्कृृत वि.वि., वाराणसी, उत्तरप्रदेश, संरक्षक के रूप में उपस्थित रहे श्री अनिल शर्मा ’जोशी’ माननीय उपाध्यक्ष, केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल, आगरा एवं प्रो. बीना शर्मा, निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा और कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में उपस्थित रहे प्रो. उमापति दीक्षित, विभागाध्यक्ष, नवीकरण एवं भाषा प्रसार विभाग। कार्यक्रम संयोजक के रूप में उपस्थित रहे डाॅ. दिग्विजय कुमार शर्मा और साथ ही विभाग के समस्त प्राध्यापकगण उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत और संचालन डाॅ. दिग्विजय कुमार शर्मा द्वारा किया गया एवं विद्वानों का स्वागत एवं परिचय डाॅ. केसरी नंदन ने किया। सभी का धन्यवाद श्री सुरेश मीणा ने दिया। इस कार्यक्रम में मिजोरम हिंदी प्रशिक्षण महाविद्यालय, आइजोल मिजोरम के विद्यार्थियों ने अपने विचार एवं अध्ययन के बारे में अनुभव व्यक्त किए।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने अपने उद््बोधन में कहा कि भाषा शिक्षण के संदर्भ में हिंदी भाषा शिक्षण और हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। ये सभी कार्यक्रम बहुत सराहनीय है। आज हिंदी भारत के साथ विश्व के 126 देशों में अपनी पहचान बना रही और विश्व के कई देशों में हिंदी भाषा शिक्षण के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। आज हिंदी व्यक्ति को विभिन्न प्रकार के रोजगार दिला रही है। इस दिशा में केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा हिंदी के प्रचार और प्रसार के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने के साथ-साथ पूर्वोत्तर की बोली और भाषाओं को ध्यान में रखकर विभिन्न कोश बनाए जा रहे हैं। इस प्रकार के कार्यक्रमों से मिजोरम की भाषाओं के शब्द भंडार को बल मिलेगा।जब कोई अहिंदी भाषी क्षेत्र का व्यक्ति हिंदी भाषा का उच्चारण करता है। तो उसके उच्चारण में मिठास झलकती है। साधारण रूप में देखें तो बोलचाल की भाषा में वर्तनी तलाश नहीं होती। जबकि लेखन में वर्तनी की मात्रा की तलाश होती है। मणिपुर, मिजोरम ओर त्रिपुरा आदि राज्यों की भाषाओं के शब्दों के प्रचलन को हिंदी में स्थान दिया जा रहा है। भाषा के प्रवाह में बोलियों के शब्दों का भी समावेश हो जाता है इस प्रकार भाषा के प्रचार-प्रसार में क्षेत्रिय भाषाओं का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रो. देवी प्रसाद द्विवेदी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के संबंध में केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा भारत ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिदिन नये-नये आयाम स्थापित कर रहा है। वर्तमान समय में भाषा और बोली के द्वारा हम अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं। भाषा संपूर्ण राष्ट्र का नेतृृत्व करती है जबकि बोली हमें वास्तिविक ज्ञान कराती है। आज संपूर्ण भारत में हम अनेक तीज त्योहार और परंपराओं के द्वारा हम अपनी बोली-भाषा को जीवंत रखते हैं। हमारा राष्ट्र बहुत विस्तृत है यहाँ पर अनेक भाषाएं बोली जाती है जो हमारे वेद पुरान है उनकी भाषा भी संस्कृृत है और संस्कृृत अधिकांश भाषाओं की जननी है। सभी भाषाओं में संस्कृृत के शब्दों का समावेश है। उन्होंने बताया कि भाषा का सुदृृढ़ माध्यम है संस्कृृत व्याकरण जिसमें अभिधा, लक्षणा और व्यंजना के रूप में शब्द उत्पत्ति होती है।
संरक्षक के रूप में माननीय उपाध्यक्ष श्री अनिल शर्मा ’जोशी’ ने अपने उद्बोधन भाषण में कहा कि पूर्वोत्तर के कार्यक्रम बहुत महत्वपूर्ण है। जिनमें हिंदी संस्थान बहुत महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। जब हम देश की एकता की बात करते हैं तो हम हिंदी भाषा को रेखांकित करते हैं। क्योंकि हम सबको हिंदी भाषा एक कड़ी के रूप में जोड़ती है जब राष्ट्रीय आंदोलनों के दौरान महात्मा गांधी ने हिंदी भाषा के महत्व को समझा और अपने संपर्क की भाषा हिंदी को माना जो सभी देशवासियों को जोड़े हुए थी।
आज वर्तमान सरकार पूर्वोत्तर भारत अनेक कार्यक्रम चला रही है जिससे पूर्वी भारत के सात राज्यों को जोड़ा जा सके जिसमें अनेक प्रकार के निर्माण कार्य और हिंदी भाषा क्षेत्र में संगोष्ठी और शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। हम चाहते हैं कि संवर्धनात्मक पाठ्यक्रम से जुड़े हुए छात्रों की प्रशिक्षण अवधि पांच या दस दिन के बजाए एक ऐसा गु्रप बनाया जाए जिसके द्वारा पूर्वोत्तर के विद्यार्थी हमेशा अध्यापकों से शिक्षण प्राप्त कर सकें।
कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो. उमापति दीक्षित, विभागाध्यक्ष, नवीकरण एवं भाषा प्रसार विभाग ने कहा कि प्रबल सौभाग्य होने पर ही मनीषियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और आपका हिंदी प्रेम ही हिंदी से जोड़ता है। सभी विद्यार्थियों की सराहना करते हुए कहा कि व्यक्ति छात्र के रूप में जीवन भर हमेशा सीखता रहता है फिर चाहे वह अध्यापक हो या विद्यार्थी। आप सभी ने विधिवत रूप से अनुशासनात्मक तरीके से कुशल प्राध्यापकों द्वारा अध्ययन किया। भविष्य में भी हम आपके सहयोग के लिए तत्पर रहेंगे। इस कार्यक्रमें में सभी शैक्षिक सदस्य उपस्थित रहे।
[ ●न्यूज़ डेस्क,’छत्तीसगढ़ आसपास’. ●प्रिंट एवं वेबसाइट वेब पोर्टल, न्यूज़ ग्रुप समूह, रायपुर, छत्तीसगढ़. ]
●●●. ●●●. ●●●.