कविता आसपास
■रीते पन से आक्रांत ‘एकाकी लोग’.
-कमल यशवंत सिन्हा
रीतेपन से आक्रांत
‘एकाकी लोग’
सोशल मीडिया पर झूठी जिंदगी जी रहे
‘एकाकी लोग’
खुद से ऊब चुके
‘एकाकी लोग’
कर रहे ताकाझांकी
‘एकाकी लोग’
अवसाद की ओर बढ़ते जा रहे
‘एकाकी लोग’
आत्महत्या करते जा रहे
‘एकाकी लोग’
हज़ारों फेसबुक फ्रेंड्स बना रहे
‘एकाकी लोग’
कमरों में सिमटे
‘एकाकी लोग’
कर रहे पोस्ट तस्वीरें वर्ल्ड टूर की
‘एकाकी लोग’
अकेले में घुट घुट कर रो रहे
‘एकाकी लोग’
खुद को खुशमिजाज जिंदादिल बता रहे
‘एकाकी लोग’
ये क्या कर रहे
‘एकाकी लोग’
सच क्यूँ छुपा रहे
‘एकाकी लोग’
खुद को क्यूँ नहीं जता रहे
‘एकाकी लोग
खुद को नहीं बचा रहे
‘एकाकी लोग’
खुद को खुद ही मिटा रहे
‘एकाकी लोग’
मदद को आवाज़ नहीं लगा रहे
‘एकाकी लोग’
ऐसे तो विलुप्त होते चले जायेंगे
‘एकाकी लोग’
आओ मिलकर ढूंढे
‘एकाकी लोग’
वह जो हमेशा लाइव रहता है वही है
‘एकाकी लोग’
वे जिनकी व्हाट्सएप dp गायब है वे ही है
‘एकाकी लोग’
वे जो घड़ी घड़ी नयी पोस्ट किया करते हैं वे ही है
‘एकाकी लोग’
वे जो सोशल मीडिया पर नजर आते हैं
मगर कई कई दिनों घर से नहीं निकलते हैं
वे ही है ‘एकाकी लोग’
वे जो हमेशा सबको हँसाते हैं
वे ही है ‘एकाकी लोग’
वे जो बात बात पर, कभी बे-बात भी झुंझला जाते हैं
वे ही है ‘एकाकी लोग’
आओ मिलकर बचाएं
‘एकाकी लोग
[ ●शासकीय महाविद्यालय तमनार,जिला-रायगढ़,छत्तीसगढ़ में सहायक प्राध्यापक, हिंदी के पद पर पदस्थ यशवंत सिन्हा ‘कमल’ रचनात्मक लेखन में रूचि रखते हुए, निरन्तर लेखन कार्य में सक्रिय हैं. ●’छत्तीसगढ़ आसपास’, में उनकी ये दूसरी कविता है, कैसी लगी,अवश्य लिखें. -संपादक ]
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