शरद कोकास [ दो लम्बी कविताएं ‘देह’ औऱ ‘पुरातत्ववेत्ता’ के कवि ]
■छत्तीसगढ़ के सु-प्रसिद्ध कवि शरद कोकास ने ‘एक अच्छी ख़बर’ को मित्रों के साथ शेयर किया,जिसे हम अपने पाठकों,वीवर्स के लिए हु-ब-हु प्रकाशित कर रहे हैं.
मित्रों , सेतु प्रकाशन से हमारे मित्र अमिताभ राय ने आज यह सूचना दी है कि वे ‘पहल पत्रिका’ में प्रकाशित मेरी दोनों लम्बी कविताएँ ‘ देह’ और ‘पुरातत्त्ववेत्ता” को शीघ्र ही एक जिल्द में पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने जा रहे हैं और अगले माह रायपुर छत्तीसगढ़ में होने वाले पुस्तक मेले में वे उसे लेकर आयेंगे ।
इन दोनों कविताओं को पत्रिकाओं व सोशल मीडिया पर समीक्षा व टिप्पणियों के रूप में आप सब मित्रों का बहुत प्यार मिला है अब आपके प्रति आभार व्यक्त करने का समय है सो किताब में शामिल करने के लिए दो पेज तैयार कर रहा हं उसका कच्चा प्रारूप यहाँ दे रहा हूँ . मेरे अवचेतन के उत्खनन के आधार पर यह नाम हैं , संभव है अनेक लोगों के नाम रह गए हों अतः आप से निवेदन है कि मुझे सूचित अवश्य करें 🙏
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‘देह पुरातत्त्ववेत्ता’ यह पुस्तक आप सभी को साभार समर्पित
लम्बी कविता ‘देह’ और ‘ पुरातत्त्ववेत्ता’ के सेतु प्रकाशन से एक ज़िल्द में पुस्तकाकार रूप में प्रकाशन के इस अवसर पर मैं मित्र अमिताभ राय सहित अपने उन तमाम मित्रों के प्रति आभार व्यक्त करना चाहता हूँ जिन्होंने विगत वर्षों में इन दोनों कविताओं को बहुत बहुत प्यार दिया ।
हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकारों स्मृतिशेष विष्णु खरे, केदारनाथ सिंह, नामवर सिंह, चंद्रकांत देवताले, विष्णुचंद्र शर्मा, मंगलेश डबराल, वीरेन डंगवाल, तेजिंदर गगन, डॉ.कमला प्रसाद, प्रभाकर चौबे, ललित सुरजन, कुबेर दत्त, वेणुगोपाल, भगवत रावत कऔर वरिष्ठ कवियों, कथाकारों, आलोचकों व संपादकों ज्ञानरंजन, डॉ.मलय, नरेश सक्सेना , अशोक वाजपेयी, डॉ मलय , विनोद कुमार शुक्ल, राजेश जोशी , डॉ. रमाकांत श्रीवास्तव, डॉ.राजेश्वर सक्सेना, राजेंद्र शर्मा, विष्णु नागर, विजय कुमार, विनोद दास, लीलाधर मंडलोई, मनोहर बाथम, अनामिका,उदय प्रकाश, ज्ञानेन्द्रपति , प्रभात त्रिपाठी, शीतेंद्र नाथ चौधरी, डॉ.भगवान सिंह, मैनेजर पांडेय , लीलाधर जगूड़ी, विजय बहादुर सिंह, राजेंद्र गुप्ता, राजेंद्र दानी, रमेश नैय्यर , डॉ.लाल बहादुर वर्मा, डॉ अजय तिवारी, मदन कश्यप, संतोष चौबे, सतीश जायसवाल, सूरज प्रकाश, रमेश उपाध्याय, सरला शर्मा, संतोष झांजी,रति सक्सेना , रामप्रकाश त्रिपाठी, और भी अनेक लोग जिन्होंने अपनी टिप्पणियों से इन्हें समृद्ध किया, आप सब के प्रति मैं आभार व्यक्त करना चाहता हूँ ।
युवा एवं युवतर मित्रों की फेहरिस्त तो बहुत लम्बी है । युवा कवि, कथाकार आलोचकों में कुमार अम्बुज, बोधिसत्व, निरंजन श्रोत्रिय, नासिर अहमद सिकंदर, देवीप्रसाद मिश्र, बद्रीनारायण , जितेंद्र श्रीवास्तव, दिनेश कुशवाह,विनोद मिश्र , नवल शुक्ल, हरिओम राजोरिया, पंकज दीक्षित, विनीत तिवारी, उत्पल बैनर्जी, मनोज रूपड़ा, बसंत त्रिपाठी, कैलाश बनवासी, सियाराम शर्मा, जयप्रकाश, राजकुमार सोनी, अरुण देव, पंकज चतुर्वेदी, जगन्नाथ दुबे, मीना बुद्धिराजा, जया जादवानी, शिरीष मौर्य, गीत चतुर्वेदी,तरुण भटनागर, दीप्ति कुशवाह, लवली गोस्वामी, अपराजिता शर्मा , अंजू शर्मा, अलकनंदा साने, आशुतोष दुबे, अशोक कुमार पाण्डेय, अग्निशेखर, सुरेन्द्र रघुवंशी, विजय सिंह, रजत कृष्ण ,मनोज कुलकर्णी,भास्कर चौधरी, त्रिजुगी कौशिक , जीवेश चौबे, नन्द कंसारी, एकांत श्रीवास्तव, संजय शाम,रामकुमार तिवारी, कपूर वासनिक, पथिक तारक, माझी अनंत, आलोक वर्मा, मणि मोहन मेहता, पंकज राग, वंदना राग , वंदना केन्गरानी , गिरीश पंकज, माया मृग , अरुण शीतांश, आशीष त्रिपाठी,मुस्तफ़ा खान, मीरा श्रीवास्तव, प्रियंका पाण्डेय, डॉ.ममता पाठक, सिद्धार्थ वल्लभ, डॉ.अलका प्रकाश, स्मिता कर्नाटक, शहनाज़ इमरानी, श्वेता शेखर, गज़ाला तबस्सुम, आनंद गुप्ता, संगीता गुप्ता, संज्ञा उपाध्याय, भावना कुमारी, सीमा बंगवाल, कर्मानंद आर्य, वीरेन्द्र प्रताप, अरविन्द पासवान, संध्या सिंह, अनिता मंडा, युनुस खान, ममता सिंह, रश्मि रविजा, वंदना अवस्थी दुबे, सुरेन्द्र सोनी, अर्चना मिश्रा, रूपेंद्र राज तिवारी, सुदर्शन शर्मा, खुदैजा खातून, अनिल अनलहातु , प्रभात मिलिंद, अवधेश प्रीत, दीपक मिश्र, हिमांशु कुमार , को भी मैं धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने विभिन्न माध्यमों पर अपनी समीक्षात्मक टिप्पणियाँ प्रकाशित कीं ।
कोलकाता में आलोक धन्वा को दिए जा रहे पहल सम्मान के अवसर रात भर जागकर ‘पुरातत्त्ववेत्ता’ का पाठ सुनने वाले पहले लिसनर नरेश चंद्रकर और ऋषि गजपाल , घोषणा पर मुझे बधाई देने वाले रवींद्र कालिया जी, ममता कालिया जी, अरुण कमल, आलोक धन्वा जी, तसलीमा नसरीन, पार्टी लेने वाले कमलेश्वर साहू, अंजन कुमार , रजनीश उमरे, अशोक तिवारी जैसे युवा मित्रों और लम्बा चौड़ा पत्र लिखने वाले कोलकाता के कुशेश्वर जी और हर जगह मेरी इन कविताओं का उल्लेख करने वाले छत्तीसगढ़ के मेरे स्थानीय साहित्यकार मित्रों कनक तिवारी,पुष्पा तिवारी,रवि श्रीवास्तव, गुलबीर सिंह भाटिया,मुकुंद कौशल, महावीर अग्रवाल, विनोद साव , मुमताज़, परदेशी राम वर्मा, देवेन्द्र नाथ शर्मा ,विद्या गुप्ता, परमेश्वर वैष्णव, लोक बाबू, विमल झा, सुभाष मिश्र, आनंद हर्षुल, सुभाष मिश्र, आनंद हर्षुल, मणिमय मुखर्जी, राजेश श्रीवास्तव, उषा आठले, घनश्याम त्रिपाठी, अनिता कर्डेकर, प्रदीप भट्टाचार्य, संजीव तिवारी , वासुकी प्रसाद,सुनीता वर्मा,पूनम साहू,अरुण निगम, दिनेश तिवारी, संजय दानी, किशन लाल, भगवत साहू, सुबोध देवांगन,इज़राइल शाद, शुचि भवी , थान सिंह वर्मा, विनायक अग्रवाल, डॉ. सुरेन्द्र दुबे,शशि दुबे, जयप्रकाश मानस ,प्रिया शुक्ला, स्मृतिशेष कॉमरेड लाखन सिंह, अशोक सिंघई ,हरीश वाढेर, अशोक शर्मा, व प्रभा सरस को कैसे भूल सकता हूँ।
आभार मेरे प्रिय, पुरातत्त्व की स्नातकोत्तर कक्षा के साथी डॉ. रवींद्र भारद्वाज के प्रति जो इस कविता को उज्जैन की दीवारों पर खुदवाने की इच्छा रखते हैं । उनके साथ ही स्मृतिशेष मित्र डॉ. अशोक त्रिवेदी भी बहुत याद आते हैं ।उज्जैन की हमारी मित्र हंसा व्यास के प्रति भी आभार। यह भी सोचता हूँ कि डॉ. वाकणकर आज होते तो वे कितना खुश होते । मेरा मित्र सुरेश स्वप्निल भी बहुत याद आता है ।
‘देह’ कविता के मंचन के लिए मैं ‘बैक स्टेज’ संस्था के रंग निर्देशक प्रवीण शेखर तथा इसके अंग्रेजी अनुवाद के लिए डॉ. हेमंत गहलोत को धन्यवाद देना चाहता हूँ । ‘पुरातत्त्ववेत्ता’ के मराठी अनुवाद हेतु मुंबई के प्रोफ़ेसर मनोहर का मैं आभारी हूँ और इस कविता पर समीक्षा ग्रन्थ लिखने के लिए उनकी जीवन संगिनी स्मृतिशेष डॉ.विजया को धन्यवाद देने के लिए तो मेरे पास शब्द नहीं हैं । मुंबई के कवि मित्रों के साथ,मराठी के कवि प्रफुल्ल शिलेदार, अनुपमा उजगरे,किरण काशीनाथ,बचपन के मित्र सुरेन्द्र चड्ढा सहित अन्य मित्रों के प्रति भी आभार व्यक्त करता हूँ ।
मैं सोशल मीडिया पर टिप्पणी लिखने वाले अपने तमाम मित्रों सहित अनेक ग्रूप्स के मित्र ‘दस्तक’ समूह के अनिल करमेले, ‘धागा’ के शांडिल्य सौरभ , ‘साहित्य की बात’ के ब्रज श्रीवास्तव,सूत्र के विजय सिंह, आदि मित्रों और समूह सदस्यों के प्रति भी आभार व्यक्त करना चाहता हूँ जिन्होंने इन कविताओं को श्रंखला के रूप में अपने समूहों में प्रस्तुत किया। टिप्पणी करनेवाले मित्रों में बुद्धिलाल पाल,प्रदीप मिश्र, उमाशंकर सिंह परमार , अजित प्रियदर्शी, केशव तिवारी,अजय चंद्रवंशी, इंद्र राठौर, विजय राठौर, सतीश सिंह, सरिता सिंह, संध्या नवोदिता ज्योति चावला बहादुर पटेल, दिनेश गौतम,राज नारायण बोहरे, संध्या कुलकर्णी, शुक्ला चौधरी, आरती तिवारी, अस्मुरारी नंदन मिश्र, असंग घोष,वंदना ग्रोवर, मिता दास, आभा दुबे, रूपा सिंह,अनामिका चक्रवर्ती, अनु चक्रवर्ती,अनीता दुबे,अरुण आदित्य, ब्रजेश कानूनगो,देवीलाल पाटीदार, प्रेमशंकर शुक्ल, मोहन सगोरिया, रश्मि भारद्वाज, मालिनी गौतम, पूजा प्रियंवदा, राजकिशोर राजन,गंगा शरण सिंह, नवनीत पाण्डेय, गीता पंडित, विभा रानी,जसवीर त्यागी, तिथि दानी, मेहज़बी ,प्रज्ञा रावत, शिरीन भावसार, प्रदीप कान्त , वनिता बाजपेयी, प्रभा मजुमदार, सुदर्शन शर्मा, संजीव जैन, वीरू सोनकर, जोशना बैनर्जी अडवाणी , सभी का मैं आभारी हूँ । मैं अपने परिचित अपरिचित मित्रों, स्कूल, रीजनल कॉलेज व विक्रम यूनिवर्सिटी के मित्रों, अंधश्रद्धा निर्मूलन समिती व विज्ञान समिति के मित्रों, फेसबुक के मित्रों, ब्लॉगर मित्रों, बैंक के मित्रों तथा परिजनों के साथ उनके प्रति भी आभार व्यक्त करता हूँ जिनके नाम इस ‘पुरातत्त्ववेत्ता’ को अपने अवचेतन का उत्खनन करते हुए भी याद नहीं आये । ‘देह’ और मन से उनके प्रति भी आभार ।
●कवि संपर्क-
●88716 65060
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