गुजरात आसपास
■पारुल विश्वविद्यालय,वड़ोदरा द्वारा आयोजित वेबिनार.
■मुख्य अतिथि, डॉ. विदुषी शर्मा.
■विचार की शक्ति परमाणु बम की शक्ति से भी कहीं अधिक:डॉ. विदुषी शर्मा.
गुजरात । वड़ोदरा । वड़ोदरा स्थित पारूल विष्वविद्यालय में संचालित फेकल्टी ऑफ आर्टस, पारूल इंस्टीट्यूट ऑफ आर्टस के तहत संचालित डिपार्टमेंट ऑफ सोषियोलॉजी की आरे से वुमन एन्टरप्रन्योर पर एक दिवसीय ऑनलाईन वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबीनार के मुख्य अतिथि डॉ. विदुषी शर्मा ने ने प्रतिभागियों को सम्बोधित किया।
डॉ. विदुषी शर्मा ने वुमन एन्टरप्रन्योर पर प्रतिभागियों को संबोधित करते हुये ओला उबर को एक विचार के आने के बाद कंपनी के रूप में तब्दील होने की बात कही। उन्होंने डॉ. वेद प्रताप वैदिक को कोट करते हुये कहा कि विचार की शक्ति परमाणु बम की शक्ति से भी कही अधिक है। परमाणु बम भी तो एक विचार के बाद ही बना है। उन्होंने मास्लो का आवष्यकता पदानुक्रम सिद्धांत को स्वप्रत्यक्षीकरण का सिद्धांत, आत्म सम्मन, तादामिाक्ता, सुरक्षा की जरूरत एवं शारीरिक जरूरत के संदर्भ में समझाया। डॉ. विदुषी ने नीड एवं वांट्स में अंतर समझाया। उन्होंने रतन टाटा, सुधा मूर्ति के जीवन से प्रेरणा की बात कही तो सफल एन्टरप्रन्योंर बनने के लिये नॉलेज, स्कील एवं सकारात्मक व्यहवार की बात भी कही। उन्होंने चार पी के बारे में बताया जिनमें प्लेस, प्रोडेक्ट, प्राइस एवं प्रमोषन की बात कही। तीन आर का जिक्र करते हुये रिकोगनाईजेषन, रेसपेक्ट एंव रिवार्ड को समझाया। उद्यमषीलता संबंधी षिक्षा, महिला की मैनेजमेंट स्कील के बारे में जानकारी दी। साथ ही वुमन एन्टरप्रन्योर के कार्य बताये जिसमें लीडरषिप, डायरेक्टिंग, स्टेटिंग, आर्गेनाईजिंग, प्लानिंग, कोर्डिनेषन, सुपरविजन एंव मोटीवेषन को समझाया। साथ ही इमोषनल फेक्टर, पुल फेक्टर, बेलेंस एवं पुषल फेक्टर पर भी प्रकाष डाला।
पूर्व उद्यम निर्णय निर्माण की बात कही। उन्होंने आवष्यकता, संसाधन, मांग एवं आपूर्ति में संतुलन, व्यवसाय एवं अवसर, व्यवसाय एवं प्रतिस्पर्धा, तकनीकी व्यहवारिकता, वित्तीय व्यहवारिकता एवं अवसरों को मापने के विष्लेष्णों के बारे में जानकारी दीं। उन्होंने एक अच्छे एन्टरप्रन्योंर बनने के लिये कुल्लहड़ वाली चाय एवं आग वाले पान का उदाहरण दिया। वही उद्यम के चयन, परियोजना का सूचिकरण, बाजार सर्वेक्षण, रिपोर्ट, गैर वित्तीय एवं वित्तीय साधनों, संसाधनों को जुटाने की बात कही। उन्होंने पोस्ट डीकोर्ब लूथर गुलिक एवं लिंडालष् उर्विक की ओर से प्रबंधन के सिद्धांत के बारे मंे बताते हुये प्लानिंग, आर्गेनाईजिंग, स्टॉफिंग, डायरेक्टिंग, कोर्डिनेषन, रिपोर्टिंग, बजटिंग की बात तो कही ही, इसके साथ ही रिस्क को मैनेज करने पर भी बल दिया। उन्होंने किरण बेदी जी के टी के फार्मूले का जिक्र करते हुये ट्रस्ट, इम्पावरमेंट एवं अकाउंटेबिलिटी की बात भी कही। बेलेंस एंड वेलबिइंग तथा डिजिटलाईजेषन की के बारे में जानकारी देते हुये उद्यमषिलता की क्षमताओं तथा उद्यम षिलता के कुछ उदाहरण देते हुये उन्होंने जेआर जीटाआ, महाषाय धर्मपाल गुलारी, बिलगेट्स, स्टीफेर हांकिंग्स, इंदिरा नूई,, एकता कपूर एवं शोभा कपूर की सफलताओं की चर्चा भी की।
इस अवसर पर पारूल विष्विद्यालय के डीन, फेकल्टी ऑफ आर्टस, प्रिंसिपल पारूल इंस्टीट्यूट ऑफ आर्टस एवं प्रोफेसर जर्नलिज्म एंड मॉस कम्यूनिकेषन, प्रो. डॉ. रमेष कुमार रावत ने वेबीनार के आरंभ डॉ. विदुषी शर्मा का स्वागत उद्बोधन के माध्यम से स्वागत कर विस्तृत परिचय दिया एवं ऑनलाईन वेबीनार के समापन पर उनका आभार जताया। इस ऑन लाईन वर्कषॉप में प्रतिभागियों, विद्यार्थियों, षिक्षकों, शोधार्थियों एवं पत्रकारों ने भाग लिया।
[ ●न्यूज़ डेस्क,’छत्तीसगढ़ आसपास’. ●प्रिंट एवं वेबसाइट वेब पोर्टल, न्यूज़ ग्रुप समूह,रायपुर,छत्तीसगढ़. ]
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