■इस माह के कवि : ●गोविंद पाल
●कुकुरमुत्ते
अगरनंददुलारेनहोते
तोनिराला”निराला”नहींहोता
पंत”पंत”नहींहोताअगरबक्शीनहींहोते
जमानावोथाजबहीरेभीथेऔरजौहरीभी
कुछहीरेकोअवश्यवक्तलगा
जौहरीतकपहुंचनेमें
परहीरेनेहीहीरेकाकद्रकिया
मुक्तिबोधनेजानाशमशेरको
औररामविलासनेमुक्तिबोधको
परमित्रों ! विकटपरिस्थितियोंकेबीच
आजकेनजानेकितनेनिराला, पंत, मुक्तिबोध
समयसेपहलेकालकेगर्तमेंसमागये
अंधेरेकोठारीमेंउनकीअभिव्यक्तिकीचीख
दफ़्नहोचुकी है
अबकुछचमकनेवालापत्थरनगीनोंमें
शुमारहोगयाहै
बिडम्बनादेखिए
पारखीनजरोंमेंभीखोटआगयाहै
धाराकेविपरीतबहनेंकीहिम्मतनजुटापाने
समयकेसाथसमझौताकरलेना
अबतोसाहित्यकेपनघटपर
अपनेअपनेकैनवासमेंसिमटेहुएलोग
चीखरहेहैंअपनेअपनेभोंपूलेकर
औरइसशोरगुलकेबीच
किनारोंपरपड़ासाहित्यकीलाशोंपर
ऊगरहेहैंकुकुरमुत्ते।
●प्रेम सरोवर
शायदहमनेकभी
जाननेकीकोशिशतकनहींकी
किकैसेयहांआसानीसेआगजलाकर
लुटाईगईथीरोशनी
कैसेकियागयाथा
दुःखकेसागरमेंसुखकामंथन
कैसेनिकालागयाथासमुद्रतलसे
खुशियोंकेमोती
औरकैसेकीगईथी
अमृतकेलिएसारेजद्दोजहद
परसमयकेसाथहमभूलतेगये
उसमृत्युंजयको
जिसनेअमृतकोछोड़पियाथाविष,
क्यातुम्हेंपतानहीं
बदलेहुएकालखंडमें
बसायागयाएकबड़ासाबाजार
जहांहोरही है
हमारीखरीदफरोख्त
कभीयहांहुआकरताथाप्रेमसरोवर
जहांखिलाकरताथा
हृदयकमल।
●इंसानियत के दुश
जिनसियासतदानोंको
बिठायेहोतख्तेताजपर
जिनकेहाथोंसौंपदियेहोआवामकीसांसे
उनकेकपड़ोंपर
आजभीमौजूदहैखूनकेछींटे
जिनकीखूनीपंजा
साफ़बतारहा है
आनेवालीभविष्यकीतस्वीर
व्यक्तिगतस्वार्थऔरनपुंसकताकीसोच
उनकेहौंसलेबुलंदकियेहुएहैं,
एकसोचीसमझीसाजिशकेतहत
दिवारकेउसपारसे
गुमराहकरनेकररहेशंखनाद
स्थितिअसामंजस्यसाहै
चोररिपोर्टलिखवारहेहेथानेमेंचोरीका
हत्यारे
खुनीकोजल्दपकड़नेकाऐलानकररहे हैं
झूठकेबुलंदियोंपरबैठेलोग
अदालतमेंसचबोलनेकासपथलेरहे हैं,
वक्तकातकाजायहीकहता है
समयरहतेसबकोजागनाहोगा।
[ ●’छत्तीसगढ़ आसपास’ के वेब पोर्टल में इस माह से एक नया स्तम्भ- ‘इस माह के कवि’ प्रारंभ कर रहे हैं. ●प्रति माह किसी एक कवि की छोटी-छोटी तीन रचनाओं को प्रकाशित किया जाएगा. ●मई माह के रचनाकार कवि ख्यातिलब्ध बाल लेखक गोविंद पाल जी हैं. ●स्तम्भ और कविता पर अपनी टिप्पणी से अवश्य अवगत कराएं.
●कवि संपर्क-
75871 68903 ]■
◆◆◆◆◆ ◆◆◆◆◆