■छत्तीसगढ़ी गीत : •डॉ. डीपी देशमुख.
●छत्तीसगढ़ के हीरा
-डॉ. डीपी देशमुख
[ भिलाई-छत्तीसगढ़ ]
कहाँ कहाँ में खोजों भैया,कहां कहां में देखों गा।
चारों मूड़ा बगरे हावे,मोर छत्तीसगढ़ के हीरा गा।
छत्तीसगढ़िया मानुस होथे, निच्चाट सीधा सादा गा
छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया जन जन म कहलाथे गा।।
महानदी अरपा पैरी ले लहकत हावय सोनहा धान
इंद्रावती सोंढुल सिवनाथ के करत हवन हम सब गुणगान।
सोन नदी ह सोन सहिक है,समृद्ध राज के ये पहिचान
जीवनदायनी नदिया पाके कुलकत हवे किसान गा।।1।।
राजीवलोचन ह कुम्भ धरे है,तिरवेनी के भाग बड़े है
चंपारण ह किसुन के नगरी,गिरोधपुरी म जैतखाम खड़े है।
दामाखेड़ा ह कबीर के थाती,कबीरधाम के धाम बड़े है
किसम किसम के पावन जगा ये सुघर छत्तीसगढ़ जान गा।।2।।
शिवरीनारायण म सिव नारायण के हावे अब्बड़ परमान
सिरपुर जइसे पावन जगा के बड़े बड़े है उज्जर नाम
तुरतुरिया के तुरतुर गोठ है रामचन्द्र के गोंड़ निसान
हमर राज के देवी देवता के करथों में गुणगान गा।।3।।
रतनपुर इतिहास रचे है हैहय वंस के है परमान
बिंद्रा नवागांव भूतनाथ है महादेव के बड़का नाम
घटारानी ह पाप हरत है जतमई माता सुख के निधान
छत्तीसगढ़ माता कौशल्या ल करथों में प्रणाम गा।।4।।
बस्तर ह सबरी के घरौंदा किष्किंधा के है परमान
दंतेवाड़ा के दतेसरी अउ बमलई के अब्बड़ मान
सृंग ऋषि ल सिहावा धरे है रामकुंड के जिहां निसान
काकर काकर में करों बखान बूढ़ादेव ल परनाम गा।।5।।
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