■कुण्डलिया : •आशा आज़ाद ‘कृति’.
●बाल श्रम ला रोकव
-आशा आज़ाद ‘कृति’
[ मानिकपुर, कोरबा-छत्तीसगढ़ ]
रोकव मिलके बाल श्रम, समझव मनुज सुजान ।
लइका मन के काज ले, बाधित हे उत्थान ।।
बाधित हे उत्थान, बालपन कोमल होथे ।
शिक्षा ले रह दूर, काज कर सबकुछ खोथे ।।
धरलय सुघ्घर मार्ग, बढ़य ओ नित पढ़ लिखके ।
होवय पूरा बंद, बाल श्रम रोकव मिलके ।।
सुघ्घर जिनगी ला गढ़िन, इही हमर हे फर्ज ।
शिक्षा के शुभ मार्ग मा, नाम करावय दर्ज ।।
नाम करावय दर्ज, बाल मन एक अधारा ।
जावय ओ स्कूल, बने तब जिनगी न्यारा ।।
लइका सहिथें पीर, पढाई छोड़य घर घर ।
करौ देशहित काज, पढ़य लइका मन सुघ्घर।।
बाल गरीबी ले बहुत, दीन दुखी परेशान।
कतका ओ मजबूर हे, हम रहिथन अंजान।
हम रहिथन अंजान, नया कानून बनावय ।
मुफ्त ज्ञान के लाभ, बाल श्रम सबो उठावय।
तपत सबो मजदूर, बनय जी सब स्वालंबी ।
काज करय सरकार, मिटादव बाल गरीबी ।।
[ ●शासकीय महाविद्यालय, कोरबा में सहायक प्राध्यापक, भूगर्भशास्त्र में पदस्थ आशा आज़ाद की साहित्यिक अभिरुचि -गीत,कविता, छंद बद्ध रचना लेखन में है. ●विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन के साथ-साथ,आकाशवाणी बिलासपुर और दूरदर्शन में कविता पाठ. ●आशा जी को कई साहित्यिक सम्मान के अलावा news36 और ACN न्यूज़ चैनल कोरबा में भी कार्यक्रम प्रस्तुति का मौका मिला. ●आशा जी की रचनाओं को उनके ब्लाग में पढ़ा जा सकता है. ●’छत्तीसगढ़ आसपास’ में उनकी पहली रचना प्रस्तुत है, पढ़ें औऱ लिखें. -संपादक.]■
◆◆◆ ◆◆◆