■दुर्गा प्रसाद पारकर की दो छत्तीसगढ़ी कविताएं.
■ब्लैक मनी के जय हो
ब्लैक मनी ह
अपन दुनो लइका
कमीसन अउ घूस ल
भ्रष्टाचार के पाठ पढ़ा के
बढ़िया संस्कार दे रिहिसे ,
दुनिया म तुमन अपन भरोसा
खूब फलो फूलो कहिके
असीस दे रिहिसे |
कसीसन बड़ा ईमानदार
टाईप के रिहिसे
एह जेकर करा भी जाथे
ओकर बूता ल जरूर करवाथे,
कमीसन कभू कोनो ल
धोखा नइ देवय
काबर कि परसेन्टेज ह
पहिली ले तय रहिथे |
कमीसन के मामला म कोनो
धोखा दिस
त वहू ह धोखा खा जथे,
कमीसन के का
एकर करा नही ते
दूसर करा जा के
अपन बूता ल करवा लेथे |
घूस ह थोकिन
बईमान किसम के रिहिसे ,
एला सदा सब
सक के नजर ले देखथे ,
मजबूरी रही
तेह का करही बपरा ह
बूता ल निपटाय बर
जानसुन के घूस ल भेजथे |
घूस के चरित्र के
बखान करना बड़ मुस्किल हे,
काबर कि एह
बड़े – बड़े ल धोखा दे देथे,
बूता नइ होय के बाद घलो
अपन स्वामी करा नइ लहूटे |
ब्लैक मनी ह
एक दिन कमीसन अउ घूस ल
बइठार के समझाथे,
हम्मन
अच्छा -अच्छा ल बिगाड़थन,
समाज म
हमर बिक्कट बदनामी हो गे हे ,
अब हम्मन अपन
आचरन ल सुधार के
समाज ल घोटाला ले बचाथन |
पुरखा ले आवत
पुरखौती धंधा ल छोड़ के
सदा दिन बर सन्यास लेथन ,
अवइया पीढ़ी बर
स्वस्थ समाज के निर्माण बर
अपन योगदान देथन |
■असाढ़ आ गे
टोपली म धान धर के
किसान ह खेत म
बाँवत करत हवय
ताहन जान डर असाढ़ आ गे |
नदिया के
धार ह हाँसत कुलकत
मेछराये बर धर लीस
ताहन जान डर असाढ़ आ गे |
चिरई चिरगुन मन
अपन बसेरा खातिर
खोंधरा बनाये बर धर ले हे
ताहन जान डर असाढ़ आ गे |
खुसी के मारे
बादर ह माँदर बजावत हे
फुरफूंदी मन
झूम झूम के करमा नाचत हे
ताहन जान डर असाढ़ आ गे |
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