■बांग्ला के कवि प्रकाश चन्द्र मंडल द्वारा कोरोना महामारी पर लिखी कविता.
●महामारी
-प्रकाश चंद्र मंडल
[ भिलाई-छत्तीसगढ़]
किसने कहा था चार लोगों के कंधे चढ़कर
जाओगे शमशान घाट
किसने कहा था बड़ा लड़का तुम्हें
करायगा अग्नि स्नान
नहीं आया आस पड़ोस
हरि नाम कोई ना बोले
कोई नहीं दिया तुम्हारे आंखों में
फुल और तुलसी
नहीं नहलाया गंगा जल से
और सुगंधित चन्दन का टिका
नहीं दिया कपाल में
छिड़काव नहीं किया गोबर का
आंगन और बाड़े में
तुम्हें बहुत गर्व था मेरा
हैं बड़ा सन्तान
वही करेगा अग्नि दान
तुम्हारे चिता में
कहां गये गरूड़ पुराण
और उनकी उपदेश
सभी तत्थ गलत साबित
आखिरकार हुआ परिशेष
कहते सभी शमशान घाट में
देखकर लोगों के भीड़
लगता सारा जीवन उसने
पुन्य कमाया ढेर
यह सब झुठा साबित
कोरोना ने कर दिखाया
सब कुछ पीछे छोड़ कर तुम्हें
अकेला जाना पड़ा
महामारी का ऐसे बुरे दिन
किसने सोचा था बोलो
पालीथीन में बांध कर तुम्हें
लिए अस्पताल वालों
नहीं रहे अंतिम स्मृति
अपने जनों के पास
नहीं गये पास तुम्हारे
नहीं देखी तुम्हारे अंतिम स्वांस
सारा जीवन कर्म किए तुम
क्या मिला आज तुम्हें
समय के घातक यम
ले गए आज उठाके
इस नाउम्मीदी दुनिया में सब
भोज बाजी का खेला (डिनर खेल)
आप का जीवन शांत हुआ
चलो मन अकेला।
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