■कबीर जयंती पर विशेष : •दोहे आसपास- •डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’.
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●दूर किए तक्सीर
-डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’
[ कोरबा-छत्तीसगढ़ ]
जीवन के हर सत्य को , धारण किए कबीर
आडंबर को छोड़कर, दूर किए तक़्सीर
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जीवनभर पीते रहे, जनहित में तहकीर
वचन कभी तोड़े नहीं,ऐसे रहे कबीर
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उनके अनुयायी सभी, राजा, रंक, फ़कीर
ढूँढे से मिलता नहीं, दूजा संत कबीर
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दास कबीरा लिख गए, कर्मों की तासीर
कोई जग में आजतक,लिखा नहीं तदबीर
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लोग जतन कर थक गए, कहलाए न कबीर
नये मुखौटे ओढ़कर, होते रहे अधीर
तक़्सीर -दोष,कमीं,त्रुटि,भूल । तहकीर-अपमान,निंदा,घृणा,उपेक्षा ।तदबीर-उपाय ,उक्ति। तासीर – असर,प्रभाव,परिणाम।
●कवि संपर्क-
●79748 50694
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