- Home
- Chhattisgarh
- ■दाम्पत्य का सौंदर्य : -सरस्वती धानेश्वर ‘सारा’.
■दाम्पत्य का सौंदर्य : -सरस्वती धानेश्वर ‘सारा’.
दांपत्य का सौंदर्य प्रेम में भीगे हुए दो अजनबियों की सुकोमल स्नेह मय गाथा है, इस बहुआयामी धुरी में प्रेम के कई रंग समाहित है कुछ रंग प्रेम के भीगे हुए हैं, तो कुछ में जीवन का कटु यथार्थ है, जो समय के साथ-साथ और विपरीत चलता हुआ दांपत्य के सौंदर्य की प्रणय गाथा का अदभुत खांका खींचता है।
युवावस्था का उन्माद भविष्य के आईने में झांकता बुढ़ापा, बिखरते साकार होते सपनों का सच, एक दूसरे के लिए जीवन की निगहबानी में उद्दीप्त प्रेम समर्पण, वेदना और संवेदनाओं के क्षणों को एक सूत्र में पिरो कर जीवन की नेह डगर में एक दूसरे का सामीप्य सुखद दांपत्य का अलौकिक सौंदर्य है जो ताउम्र एक साथ चलने के लिए वचनबद्ध है!
अहा! कितना सुंदर पावन पुनीत और निर्बाध है यह रिश्ता, प्रेम की उपस्थिति इस रिश्ते को संपूर्णता से भर देती है।
दांपत्य के सौंदर्य में प्रेम एक अलौकिक और अद्भुत एहसास है यह हर आयु वर्ग पर कभी ना कभी अपना असर दिखाता है प्रेम की कोई भी परिभाषा देना आसान नहीं है आप इसे वर्णित भी नहीं कर सकते सिर्फ महसूस कर सकते हैं इसका पहला लक्षण ही यही है कि आप ताउम्र किसी खास इंसान के सानिध्य के साथ व्यतीत करना चाहते हैं।
प्रेम में किसी को चाहने के लिए कोई विशेष मापदंड नहीं होता प्रेम तो कहीं भी किसी से भी हो सकता है यह वो शै है जो धन, धर्म, राष्ट्रीयता वा किसी भी आयु वर्ग के अंतर को फलांग कर विपरीत जान पड़ते रिश्तो में हो सकता है।
समय और समाज के आईने में दांपत्य के प्रेम सौंदर्य को समझना और उसकी जिज्ञासा को शांत करना आवश्यक है हालांकि
यह इतना आसान नहीं है किंतु यह भी सत्य है कि, दांपत्य जीवन में बनते बिगड़ते रिश्तो में हम केवल नफरत और घृणा को ही जानते हैं या समझ पाते हैं,तो क्यों ना दांपत्य में प्रेम के सौंदर्य और उसके उज्जवल पक्ष की थोड़ी सी जिज्ञासा की जाए क्योंकि प्रेम ही स्वस्थ और सर्वागीण सामाजिक संबंधों का मूल है, गहन प्रेम किए बिना हम मनुष्यत्व व इंसानियत से वंचित ही रहेंगे या यूं भी कहा जा सकता है कि मानव अस्तित्व में प्राण वायु का संचालन प्रेम से ही संभव है बिना प्रेम के कोई भी रिश्ता कायम नहीं हो सकता प्रेम ही मूल सत्ता का आधार है, प्रेम बच्चों को मां की घुट्टी में मिलता है प्रेम निराकार सत् को साकार बनाने की सबसे सुंदर और पावन हसरत है प्रेम नजरिए को दृष्टांत दिए बिना सृष्टि नहीं चलती घृणा की अपनी मिल्कियत है किंतु वह कभी केंद्र में, प्राणों में और कर्मों की सत्यता में नहीं मिलती, प्रेम की सत्ता का सौंदर्य बोध विशाल है इसका
कोई छोर आदि और अंत नहीं बस जहां तक दृष्टि का सौंदर्य विद्यमान है वहां तक प्रेम का दृष्टांत है,
दांपत्य प्रेम का सौंदर्य एक खूबसूरत फूल की तरह है, एक नाजुक सा परिंदा, एक निर्झर बहती हुई नदी, और सर्वोच्च शिखर, इस रिश्ते को प्रेम जीवन देता है जैसे एक बूंद में छिपा एक विशाल सागर,एक खुला आशियाना और मीठी सी तड़प कितने रंग रूप और विभिन्नता लिए प्रेम का सौंदर्य अप्रतिम और विशाल है अनादि और अनंत का समावेश।
दांपत्य जीवन का प्रेम सौंदर्य आंतरिक बुनावट पर आधारित होता है, इसके सौंदर्य का कोई मापदंड नहीं, कहां कैसे कितना कुछ भी नहीं, इसकी चमक या परछाई इसके भीतर ही छिपी होती है,प्रेम का आधार बाह् सुंदरता से बहुत अधिक पारस्परिक विश्वास और स्वतंत्रता जैसे सौंदर्य के उत्कृष्ट मूल्य से बनता है, वह सौंदर्यीकरण, खूबसूरती रुप रंग और शक्ल या एक निश्चित बनाएं हुए फ्रेम पर फिट नहीं बैठता।
“हमने देखी है तेरी पलकों की नमी,
वो जद्दोजहद वो कशमकस,
जिंदगी यूं ही नहीं तेरे तसव्वुर में गुजारी हमने, इल्तिज़ा है बस इतनी ही, ख्वाहिशें संग रहें उम्र भर तिरी” ।
अहा!
ये विषेश पंक्तियां दांपत्य जीवन के प्रेम का अदभुत सौंदर्य बंया करती हैं।©
सरस्वती धानेश्वर, निदेशक विश्व शांति समिति भारत, भिलाई छत्तीसगढ़।
[ ●सरस्वती धानेश्वर ‘सारा’,विश्व शांति समिति, भारत की निदेशक हैं. ]
◆◆◆ ◆◆◆