■कविता आसपास : ■झरना मुखर्जी.
■गुरु वही जो जीना सिखा दे.
-झरना मुखर्जी.
[ वाराणसी, उत्तरप्रदेश ]
गुरु वही जो जीना सिखा दे
हीरे सा पहचान बनाना
खुद को ही पर्याप्त बनाना
कठिन राह पर चलना सिखा दे
गुरु वही जो जीना सिखा दे।
गुरु बिना तो ज्ञान नहीं है
ज्ञान बिना सम्मान नहीं है
दुनिया से खुद मुझको मिला दे
गुरु वही जो जीना सिखा दे।
मुझको इक इंसान बनाना
कमियों को भरपूर दिखाना
जीवन जीने का पाठ पढ़ा दे
गुरु वही जो जीना सिखा दे।
बिन गुरु जीना शान नहीं है
समझ लेना वो धनवान नहीं है
जीवन जीने का पाठ पढ़ा दे
गुरु वही जो जीना सिखा दे।
अनुशासन से हमें भिगोना
कर्तव्य से हमें सुखाना
जीवन का ये मैल मिटा दें
गुरु वही जो जीना सिखा दे।
तेरी कीर्ति शिखरों से ऊंचा
ज्ञान समुंदर से भी नीचे
सूरज बनके तम को मिटा दें
गुरु वही जो जीना सिखा दे।
गुरु को मेरा वंदन अभिनंदन
सुन लो गुरुवर मेरी क्रंदन
कोशिशों को आधार बना दे
गुरु वही जो जीना सिखा दे।
【 ●कोलकाता, छत्तीसगढ़, लखनऊ, कानपुर एवं वाराणसी से प्रकाशित पत्र-पत्रिकाओं में झरना मुखर्जी की रचनाएं प्रकाशित होते रहती है. ●प्रकाशित पुस्तकें- कविताम्बरा,काव्य सरिता,काव्य प्रहरी,पूर्ववान्य साहित्य पत्रिका. ●सम्मान-काशी भूषण सम्मान, शक्ति वाहिनी सम्मान, मां वरुणा महोत्सव स्मृति सम्मान, काव्य मंजरी सम्मान, धात्री कांति सम्मान, शायर नज़ीर बनारसी स्मृति सम्मान, मां भारती सशक्त नर नारी सम्मान, कुदरत कृषि शोध सम्मान, पर्यावरण संरक्षण सम्मान, बांग्ला कविता सम्मान. ●’छत्तीसगढ़ आसपास’ के लिए झरना मुखर्जी की यह दूसरी रचना है, कैसी लगी लिखें. -संपादक】
कवयित्री संपर्क-
jharnamukherjee007@gmail.com
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