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■छत्तीसगढ़ : विवाद भविष्य के गर्भ में ? तो क्या बच्चा गर्भ से बाहर आना तय!
●बिलासपुर से वरिष्ठ पत्रकार अमित मिश्रा की रिपोर्ट.
राजस्थान और पंजाब के बाद सियासी घमासान छत्तीसगढ़ पहुंच गया है और प्रदेश की राजनीति का सियासी पारा हाई है टी एस सिंहदेव और बृहस्पत सिंह का विवाद सदन के रास्ते भूपेश और दिल्ली हाईकमान तक जा पहुंचा है , क्योंकि पिछले कुछ महीनों से ढाई-ढाई साल का सत्ता हस्तांतरण को लेकर भूपेश बघेल और बाबा के बीच लम्बी खाई बन गई है जिसपर कल विधानसभा में टी एस सिंहदेव ने यह कहकर सदन को चोंका दिया कि “बस बहुत हो गया मैं भी इंसान हूँ मेरे चरित्र को सब जानते हैं, लेकिन कुछ ऐसी बातें बताने की कोशिश की गई,जो लोगों के सामने नहीं है, मेरे बारे में जब तक शासन की तरफ से इश्पष्ट जवाब नहीं आता मैं इस पवित्र सदन में रहने के लायक खुद को नहीं मानता और सदन से बाहर निकल गए और यहां तक अपने सरकारी बंगले को ताला जड़ दिया इसका मतलब यही है कि लड़ाई अब खुलकर दोनो के बीच होते हुए जनता के बीच भी पहुंच चुकी है ?
इससे यह तो इश्पष्ट हो चुका है कि सत्ता से दूर करने के लिए कहीं विधायक की हत्या करने की रणनीति भी इसी का हिस्सा तो नहीं ? इसी बीच हवा का एक झोंका तब और तेज हो गया जब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भूपेश बघेल को पलटवार करते हुए यह कह दिया कि दामाद का मेडिकल कॉलेज बचाने प्रदेश की धनराशि का उपयोग करने जा रहे है ,कौन बिकाऊ है और कौन टिकाऊ इसकी परिभाषा अब साफ है! कहीं सिंधिया का यह बयान राजा राजा के समर्थन में तो नहीं ? इसे दिल्ली में बैठे आलाकमान जल्दी भांप आननफानन में प्रदेश प्रभारी पुनिया को आना पड़ा और हाईकमान का संदेश भूपेश बघेल को बता दिया और उन्होंने नाराज बाबा को मनाने बातचीत के लिए विधानसभा बुलाना इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि सिंहदेव की नाराजगी दूर हुई या फिर मीटिंग के बाद निकलकर उन्होंने कहा कि “विवाद भविष्य के गर्भ में है ? तो क्या हम यह मतलब निकाले की गर्भ में पल रहा बच्चा बड़ा भी होगा और बाहर निकलेगा ! विवाद तो बढ़ना तय है अभी तक मुख्यमंत्री का राजनैतिक कद बहुत ऊंचा चल रहा था जिस पर ब्रेक लगने जैसी दिखाई दे रही है। क्योंकि कांग्रेस विधायकों का आज तीन धड़ा (बृहस्पत सिंह का भी एक धड़ा) बनते दिख रहा है । ये बात अलग है कि पुनिया ने बाबा को मनाने के लिए बृहस्पत सिंह की बलि भी ले ले?
सरकार के अंतर्कलह का मजा विपक्ष भी उठाने से कहाँ चुकने वाली है भाजपा ने लड़ाई को लम्बी खिंचने के लिए संयुक्त विधायक दल से जांच कराने का मुद्दा उछाल दिया है। और इसमें आग में घी डालने का काम जकाँछ के नेता अमित जोगी ने यहां तक कह दिया है कि हत्या का आरोप लगाने वालों को साफ़ करना चाहिए कि उनके घागे कौन खींच रहा ? बहरहाल आरोप प्रत्यारोप का खेल तो अब शुरू हुआ है ?
पुनिया का दावा है कि विवाद का बहुत जल्द पटाक्षेप कर लिया जाएगा कल के घटनाक्रम की कहानी आज छत्तीसगढ़ के सारे अखबारों की सुर्खियों में है । वहीं पर्दे के पीछे वो बड़े कांग्रेसी लीडर भी है जो मंत्री नही बन पाए है, सारे खेल पर टकटकी लगाए है और अंदर ही अंदर हवा भी दे रहे है साथ ही वो भी पीछे नही है जिनको हाल ही में निगम मंडल में स्थान नही मिल पाया है और नाराज चल रहे है। तो क्या हम यह मान लें कि सब कुछ यही खत्म हो गया या फिर चिंगारी कहीं शोला न बन जाए ?
●अमित मिश्रा
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