जयंती : सतनाम पंथ के संस्थापक संत शिरोमणि बाबा गुरु घासीदास जी
▪️ लेख –
▪️ डॉ.नीलकंठ देवांगन
सतनाम मानव धर्म के स्थापन करइया गुरु घासीदास एक महापुरुष, तपस्वी, सिद्ध, सन्यासी, महात्मा, संत रिहिन | ओला ‘ प्यार से बाबा’ शब्द ले संबोधित किए जाथे | ओहा सतनाम, सत्य अउ अहिंसा ला मानव के मूल मंत्र बताइस | ओखर मं सेवा अउ आत्म त्याग के अद्भुत भावना रिहिस | ओहा सबले बड़े धरम गरीब मन के सेवा, देश मं एकता अउ सब धरम के आदर करना मानिस| ओखर द्वारा प्रतिपादित ‘ सत्यनाम ‘ एक आंदोलन रिहिसे | एक अइसे आंदोलन जउन कोनो जात या धरम बर नहीं, बल्कि संपूरन मानव जात, समाज बर हे | सतनाम शब्द कोनो जाति सूचक शब्द नोहय बल्कि एक विशेषन आय | संपूरण मानव समाज के कल्यान ले जुड़े हे ओखर सतनाम आंदोलन | ओहा अंध विश्वास, मूर्ति पूजा, बलि प्रथा, बाहिरी आडंबर के खंडन करिस, सत्यवादी मान्यता बर पुरजोर बल दिस | कुरीति, कुप्रथा ला मिटाय खातिर संघर्ष करिस अउ शुद्ध खानपान, सदाचार अउ अच्छा कर्म करे के संदेश दिस |
ओखर जीवन आदर्श – ओहा दीन दुखी मन के दुख दूर करे बर हमेशा परयास करिस | घृणा अउ हिंसा ला छोड़ के परेम अउ करुना करे ला सिखाइस | ओहा मानवतावाद के पोसक रिहिस | वर्ण भेद, जातिवाद मिटाय खातिर जाति तोड़ो समाज जोड़ो जइसे नवा परयोग करिस | दिशा हीन लोगन ला सही दिशा अउ सही रद्दा देखाय के सतकाम के संग पूंजीवादी, जातिवादी बेवस्था के खिलाफ समाज मं नव जागरन अउ नव विकास के सूत्रपात करिस | सामाजिक बेवस्था ला मजबूत बनाय बर समाजवाद के नींव रखिस अउ सामाजिक सुधार के शंख फुंकिस | सतनाम के मूल सिद्धांत अउ विचार से लोगन मन ला परिचय कराइस | सतनाम का संदेश ओखर असाधारन व्यक्तित्व के परिचय देथे | जैतखाम, सादा झंडा ओखर पहिचान हे |
सतनाम पंथ के स्थापना – गुरु घासीदास बाबा सतनाम पंथ के स्थापना करिस | सामाजिक समता के संदेश दिस | कमजोर वर्ग के विकास के रद्दा खोलिस | पूंजीवाद अउ सामंतवाद व्यवस्था ला मानव समाज के विरोधी बताइस | टुकड़ा टुकड़ा मानव समाज ला संगठित करके नवा स्वरूप दिस | लोगन मन संकीरन परंपरा अउ निरर्थक करम कांड ले उबर के छुआछूत, जातिभेद के ऊपर उठन लगिन |
गिरौदपुरी के जैतखाम – सतनाम धरम के प्रतीक चिन्ह हे – जैतखाम | गिरौदपुरी मं कुतुब मीनार से भी ऊंचा 77 मी. उंचाई के जैतखाम बने हे |
अमृत कुंड – गिरौदपुरी ले थोकुन दुरिहा मं अमृतकुंड हे | इही जगा पत्नि सुफरा ला अमृत जल पिला के जीवन दान दे रिहिसे | फेर चिंता अउ बीमारी के कारन प्रान त्याग दिस |
पंथी नृत्य – सतनामी समाज के विशेष नृत्य हे – पंथी नृत्य | छत्तीसगढ़ के लोक कला के रूप मं स्थापित समूह नृत्य होथे | येला स्त्री या पुरुष दुनों अलग अलग या एक साथ करथें | इंखर गीत मं सतनाम पंथ के संस्थापक, अध्येता निर्गुन धारा के ग्यान मार्गी संत गुरु घासीदास बाबा के वंदना गुनगान , उंखर वंशज मन के महिमा के बरनन होथे |
सतनाम के सात सिद्दांत – 1 सतनाम मं विश्वास रखव, 2 मूर्ति पूजा मत करव, 3 जाति भेद के प्रपंच मं मत परव, 4 मांसाहार मत करव, 5 शराब मत पियव, 6 अपरान्ह मं खेत मत जोतव, 7 पर स्त्री ला माता मानव |
प्रमुख समाज सुधारक अउ अध्यात्म पुरुष गुरु घासीदास के जनम 18 दिसंबर 1756 मं गिरौदपुरी मं पिता मंहगूदास अउ माता अमरौतिन बाई के घर होय रिहिसे | ओखर नांव घसिया रखे गिस | उही ह आघू चलके अपन तप बल अउ सतकरम ले संत गुरु घासीदास बाबा के नांव ले जाने गिस | जनम के समय समाज मं अराजकता छाये रिहिसे | समाज छुआछूत अउ जात पात के बंधन मं जकड़े रिहिसे | शासक अउ ऊंच वर्ग द्वारा असहाय अउ कमजोर ऊपर अत्याचार के शिकंजा कसत जात रिहिसे | समाज पतन के दशा मं रिहिसे | ओहा सामाजिक समता के मुखिया बनिस | सामाजिक कुरीति ला दूर करे के मुहिम छेड़िस अउ लोगन मं आशा अउ विश्वास के संचार कर शोषन के खिलाफ आवाज उठाइस | अन्याय, अत्याचार, बुराई, भेदभाव, रंगभेद, नारी ऊपर बुरा व्यवहार,दहेज प्रथा, नशा, ऊंच नीच,अनीति के खुलके विरोध करिस |
गिरौदपुरी धाम – रायपुर ले 20 कि. मी. दूर गिरौदपुरी हे | येहा बाबा के वो तपोभूमि हे, जिहां सतनामी समाज के संग छत्तीसगढ़ के लाखों लोगन के भावना जुड़े हे | येहा सिद्धि स्थल के साथ ओखर जनम भूमि, करम भूमि अउ तपोभूमि घलो आय |
गुरु घासीदास ह छाता पहाड़ मं अखंड धुनी जमा के आत्म शोध करिस | धंवरा पेड़ के नीचे ओला आत्म बोध होइस | इहें अंजोरी पाख फागुन के पंचमी ले साते तक विशाल संत समागम के आयोजन होथे |
ओहा दिशा हीन लोगन के मसीहा हे | दलित पीड़ित मन के समस्या ला समझिस अउ सुधार लाय के उदिम करिस | पिछड़े जात वाले मन सार्वजनिक तरिया, कुआं ले पानी नइ ले सकंय | ओहा अहिंसक आंदोलन छेड़िस अउ सतनाम सामाजिक चेतना जगाइस | सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, सांस्कृतिक सबो क्षेत्र मं लोकतंत्र के पक्षधर रिहिन | गृहस्थ होवत ओहा हर पल गरीब मन के सेवा अउ नवा खोज मं लगे रहं य | सतनाम मं सदा अंतर्लीन रहं य | ओखर बिहाव सिरपुर निवासी अंजोरी संत के बेटी सफुरादेवी से होय रिहिसे | पत्नि के शरीर छोड़े के बाद ओहा एकांत मं ध्यान साधना मं समय बिताइस अउ सतनाम पंथ के विस्तार करिस |
1850 मं बाबा के अव्यक्त होय के बाद ओखर पुत्र बालकदास गद्दी ला संभालिस | गुरु बालकदास, गुरु मुकतावन दास, गुरु अगमदास, मिनी माता अंजोरदास, नैनदास जइसे लोगन मन गुरु सिद्धांत ला बरकरार रखिन | गुरु के आदर्श ले प्रेरित होके अनेक जाति अउ धरम के लोगन मन सतनाम मं दीक्षा लीन |
नारी मन के उद्धार करइया – गुरु घासीदास छत्तीसगढ़ मं नारी जाति के पहिली उद्धारक होइन | स्त्री मन ला स्वावलंबन अउ कर्मठता के अधिकार दिलाइन | अब महिला गृहिनी मन हाथ मं हंसिया धरके खेत खलिहान मं जावथें | विधवा स्त्री मन के फिर से बिहाव, धार्मिक काम मं पुरुष के बरोबर अधिकार, एक स्त्री से बिहाव के हक बर संघर्ष करिन |
शोसित अउ पीड़ित वर्ग मं जनम लेके कारन ओहा भयावह गरीबी देखे रिहिसे |
मनखे मनखे एक समान – गुरु घासीदास सामाजिक समता के वाहक अउ मानवीय क्रांति के अग्रदूत रिहिन | समाज मं समानता के संदेश ला रेखांकित करत बताइन के समाज मं हर व्यक्ति एक जइसे हें अउ उन मन मं ऊंच नीच के भेदभाव नइ किये जा सकय | ‘ मनखे मनखे एक समान ‘ के शंखनाद करिन | अनुयायी मन के संख्या बढ़त गिस | छत्तीसगढ़ मं बड़ तादात मं सतनाम पंथ के पालन करन लगिन |
गुरु घासीदास जउन संदेश आज से बरसों पहिली दे रिहिसे, आज के समय मं अत्यंत प्रासंगिक हे | नारी मुक्ति, दलित उद्धार वर्तमान के मांग हे | छत्तीसगढ़ के लोक मानस मं ओखर गहरा प्रभाव हे |
•डॉ.नीलकंठ देवांगन
•संपर्क –
•84355 52828
🟥🟥🟥