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लघु व्यंग्य, लाकर- महेश राजा, महासमुंद-छत्तीसगढ़

4 years ago
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एक ताजा ताजा बने नेताजी ने घर पहुँच कर पत्नी को बताया,-“आज मैंने भी लाकर ले लिया।”

पत्नी जी ने आश्चर्य से पूछा,-” -लाकर… क्या करोगे आप इसका?।अभी तो आपके पास कोई ज्यादा रकम या अन्य जमीन जायदाद भी नहीं है।”

नेताजी मूंँछो मे मुस्कुराये,.-अरी, भाग्य- वान… लाकर में तरह -तरह के मुखौटे रखूंँगा।आजकल इसी का चलन है।आखिरकार यही तो हमारी पूंँजी है।

लेखक संपर्क-
94252 01544

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