■एक युग का अंत : दिलीप कुमार
■1944 में पहली फिल्म ‘ज्वार भाटा’
■लोकप्रिय फिल्में-जुगनू,देवदास,आज़ाद,गंगा जमुना,कोहिनूर,शहीद, आरजू,मेला,बाबुल,कानून अपना-अपना, पैगाम,राम और श्याम,नया दौर,हलचल तराना, फुटपाथ,संगदिल, उड़न खटोला.
■1980 में फ़िल्म ‘क्रांति’.
●जयदेब गुप्ता मनोज़
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वर्षो से भारतीय सिने संसार पर चमकते सितारे दिलीप कुमार भले ही फिल्मो के ट्रेजेडी किंग कहलाते रहे है परन्तु वास्तविक जीवन मे वह बडे ही ज़िन्दादिल व हंसमुख इंसान थे,।हंसने हंसाने का मौका वह कभी हाथसे जाने नही देते थे, दिलीप साहब की 1944 __मे एक फिल्म आई थी शहीद वास्तव मे इसी फिल्म से ही उनको जबरदस्त शोहरत मिली थी इस कामयाबी के खुशी मे दिलीप साहब एक कार भी खरीदी थी इसी कार से वह एकबार अपने दोस्त रमेश सहगल को सैर कराने निकले थे ।इत्तेफाक से रास्ते मे कार खराब हो गई दिलीप साहब ने कार से नीचे उतर कर कार का इंजन का ठाप खोला बहुत से युबक वहा जमा हो गए ओर उन्होने शहीद के हीरो दिलीप कुमार को पहचान लिया ओर आटोग्राफ के लिए टूट पडे ।रमेश सहगल ने कहा इधर आओ मै तुम्हे आटोग्राफ देता हू एक लडका ने उन्हे पहचान लिया ओर कहा आप तो एकस्ट्रा कलाकार है । फिल्म शहीद मे सैकडो एकस्ट्रा मे कलाकारों मे रमेश सहगल झण्डा थामे सबसे आगे थे।रमेश सहगल को यह बहुत बुरी लगी उन्होने कहा कि मै दिलीप कुमार का बाप हू।
इस पर दिलीप साहब ने मुस्कुरा कर जवाब दिया मैने एक्सट्रा कलाकार को अपनी कार मे जगह दे दी ओर यह मेरा बाप बन बैठा। एकबार फिल्म संघ्घर्ष के सेट पर आए तो बुरी तरह पडेसान थे फिल्म के निर्देशक एच,एल, रावेल ने पूछा कयो खैरियत तो है ? इस पर वह बोले रात को खाना ज्यादा खा लिया था इसी लिए पेट कुछ गडबर है रावेल साहब ने कहा अगर एैसा है तो आज की शुटिंग कैन्सिल कर देते है इस पर दिलीप साहब ने कहा नही_ नही इसकी आवश्यकता नही इसमे आपका बहुत नुकसान हो जाएगा । दिलीप साहब को खाना खाने का बहुत शौक था।
अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, ओर मनोज कुमार जैसे कलाकार दिलीप कुमार साहब को अपना आदर्श मानकर फिल्मी दुनिया मे प्रवेश किया ओर दिलीप साहब के अभिनय को देख देख कर अपना अभिनय का कैरियर शुरू किया।
बादमे अमिताभ बच्चन सदी का महा नायक बन गए ,मनोज कुमार भारत कुमार* बन गए ओर धर्मेंद्र जी जवॉ दिलो के धडकन बन गए है।
फिल्म मशाल के उस द्र्श्य को याद कीजिये जब अपनी पत्नी की बिमाडी के कारण अस्पताल ले जाने के लिए गाडीवालो से गिरगिरा रहे थे।
फिल्म राम ओर श्याम आदमी बिधाता शक्ती,सौदागर,कोहिनुर,लीडर,मुगले आजम, देबदास, गंगी यमुना ओर गोपी जैसे फिल्मो मे दिलीप साहब के अभिनय को शायद कभी भूलाया जा सकता।
1935 मे फिल्म_ ज्वार भाटा से अपनी फिल्मी सफर शुरू क़रनेवाले दिलीप साहब अपनी फिल्मी सफर मे सिर्फ 54 फिल्मो मे अभिनय किया था ओर फिल्मी दुनिया के ट्रेजेडी किंग बन गए।
हिन्दी फिल्मी के एैसे कोई भी एैसा कलाकार नही होंगे जिन्होने दिलीप साहब के अभिनय का नकल नही किया होगा।
दिलीप साहब के कुछ उल्लेखनीय फिल्मे
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1944_ज्वार भाटा पहली फिल्म
जुगनु_, देवदास। आजाद, गंगा जमुना , कोहिनुर
_शहीद _आरजु* ,मेला ,बाबुल,कानुन अपना अपना, पैगाम,राम ओर श्याम ,नया दौड
हलचल* देवदास,तराना,*फुटपाथ * आरजू_
_संगदिल दाग,* अंदाज़ मुहल्ला ए आजम ,उडन खटोला ,दिल दिया दर्द दिया ,,गोपी ,आदमी , आदि फिल्मोमे अभिनय करने के बाद कई वर्षो तक फिल्मो से दूर रहे निर्माता, निर्देशक अभिनेता मनोज कुमार के विशेष अनुरोध पर सन 1980 मे दिलीप साहब दोवारा मनोज कुमार के निर्देशन में फिल्म *क्रान्ती मे अभिनय करने को राजी हूए ,उसके बाद कई फिल्मो मे दिलीप साहब नजर आए ओर अपने अभिनय का कमाल दिखाया। आज साढे सात बजे दिलीप साहब के निधन के बाद ॉफिल्मो का एक युग समाप्त हो गया।
दिलीप साहब जहॉ भी रहेंगे हमेश हमारे दिल मे बिराजमान रहेंगे नमन करता हू सदी के सबसे लोकप्रिय कलाकार थे
लेखक संपर्क-
94311 51220
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