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चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज, दुर्ग के अधिग्रहण मामले में हाईकोर्ट ने भेजा कॉलेज के सभी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स और इस बैंक को नोटिस.
जुलाई महीने के आखिरी सप्ताह में आयोजित विस के मानसून सत्र के दौरान प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने छत्तीसगढ़ के दुर्ग में स्थित चंदूलाल चंद्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय (अधिग्रहण) विधेयक पेश किया था। विपक्षी दलों के भारी विरोध के बावजूद पास करा दिया गया था। सरकार ने उस वक्त बिल को लेकर कहा था कि हमने बच्चों के हित में फैसला लिया है। अब इस मामले में हाईकोर्ट बिलासपुर ने कॉलेज के सभी 13 बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स सहित इंडियन बैंक को नोटिस जारी किया है। वहीं इस मामले की अगली सुनवाई 3 सप्ताह बाद होगी। दरअसल, दुर्ग के अमित चंद्राकर जो खुद को चंदूलाल चंद्राकर का प्रपौत्र बताते हैं। उन्होंने अधिवक्ता गुंजन तिवारी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि 1982 में मंगल प्रसाद चंद्राकर ने उनके चंदूलाल चंद्राकर के नाम पर दुर्ग के जीई रोड स्थित जमीन पर अस्पताल निर्माण करने की योजना बनाई। इसके लिए सरकारी जमीन साडा से अनुमति लेकर लीज पर ली गई। इसी पर चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल अस्पताल खोला गया। अस्पताल के चलने पर अस्पताल के बोर्ड आफ डायरेक्टर ने मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए इंडियन बैंक से लोन लेने के लिए अस्पताल की जमीन को बंधक रखा। बैंक से मिली लोन राशि से दुर्ग के कचांदुर में मेडिकल कॉलेज की नींव रखी गई। अस्पताल की जमीन को लोन के लिए बंधक रखा गया है वह सरकारी है। इसको लीज पर देते समय कई नियमों के साथ ही यह भी शर्त रखी गई थी कि ली गई जमीन को न तो बेचा जा सकता है, न बंधक रखा जा सकता है, न ही हस्तांतरित किया जा सकता है। इसके बाद भी बैंक ने लोन दिया जबकि उसे नगर निगम या साडा से इस जमीन के बारे में जानकारी लेनी थी। इसलिए लिया गया लोन और उसके बदले में सरकारी जमीन को बंधक रखना गलत है। इसके बाद जब लोन नहीं पटा पाने पर इंडियन बैंक ने अस्पताल को नीलामी के लिए रखा है वह भी गलत है क्योंकि यह सरकारी संपति है। इसे नीलामी नहीं किया जा सकता। बोर्ड आफ डायरेक्टर ने इंडियन बैंक के साथ मिलकर शासकीय धोखाधड़ी की है यह मामला सामने आया है।