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छत्तीसगढ़ की बेटी ने बनाया वुमन सेफ्टी सैंडल और पर्स, साबित होगा महिलाओं के लिए रक्षा कवच, जाने क्या है खास
छत्तीसगढ़ की बेटी ने वुमन सेफ्टी सैंडल और वुमन सेफ्टी पर्स बनाया है,जिसकी चर्चा अब विदेशों में होने लगी है.
धमतरी जिले की सिद्धि पांडेय ने ये गजब की डिवाइस बनाई है. सिद्धि ने ये मच्छर मारने वाली रैकेट की किट का इस्तेमाल कर वुमन सेफ्टी सैंडल और वुमन सेफ्टी पर्स बनाया है. इसकी खासियत यह है कि जब भी महिलाओं को मनचलों से सामना होता है तो इसका इस्तेमाल कर सकते है.
सैंडल में जो डिवाइस लगा है वह 1000 वॉल्ट तक का झटका देता है. अगर अकेली देख कर किसी ने भी छेड़छाड़ की तो सेंडल को मजनू से सिर्फ टच करवा कर उसे निढाल किया जा सकता है. जिसको भी यह तगड़ा झटका लगेगा वह कुछ देर के लिये निढाल हो जाएगा. इसी बीच महिला मौके से सुरक्षित निकल सकती है. सिद्धि ने इसके लिये मच्छर मारने वाले रैकेट के किट का प्रयोग किया गया है. जो सैंडल के सोल में लगाया गया है और रिचार्जेबल बैटरी से चलता है. सिद्धी ने इस सैंडल में कुछ इस तरह से फिट कर दिया कि एक नजर में ये दिखाई भी नहीं देता है.
सिद्धि की दूसरी डिवाइस पर्स है. जिसे महिलाएं अक्सर घर से बाहर जाने के वक्त अपने साथ लेकर चलती है. जिसमे पुलिस सायरन लगाया गया है. अगर कोई अकेली महिला किसी भी तरह के खतरें की आहट महसूस करती है. तो वह अपने पर्स में छुपा हुआ छोटा सा बटन दबाएगी. जिसके बाद फौरन सायरन की आवाज निकलेगी. पुलिस सायरन की आवाज से मनचले खौफ में आ जाएंगे. इसके बावजूद भी अगर महिला कहीं फंस जाती है तो इसी पर्स में जीपीएस भी लगाया गया है. जिसका संपर्क घर में रखे मोबाईल फोन से रहता है और अपने आप महिला का लोकेशन घर वालो को मिल सकता है.
सिद्धि ने बताया की महिलाएं ज्यादातर सैंडल पहनती है और पर्स रखती है, तो इन्ही दो चीजो को सुरक्षा का हथियार भी बनाया जा सकता है. इसलिए ये डिवाइस बनाई गई है. डिवाइस को बनाने में सिर्फ साढ़े 750 रुपए रूपये का खर्च होता है. वहीं सिद्धि ने आगे बताया कि देश में इस डिवाइस की मांग तो है लेकिन टेक्नालाजी में विश्वगुरू माना जाने वाला जापान भी इस डिवाइस से प्रभावित है.आने वाले दिनो में इस डिवाईस का जापान में प्रदर्शन होना है. सिद्धि ने बताया की इसके लिए जापान से न्योता मिल चुका है.
धमतरी जिले की रहने वाले सिद्धि मध्यमवर्गीय परिवार से है.सिद्धि के पिता नीरज पाण्डेय एक गौशाला में काम करते है और वही से मिले पैसो से परिवार चलता है.सिद्धि फिलहाल बी कॉम सेकंड ईयर की छात्रा है.सिद्धि के घर में उसके माता, पिता और एक भाई है.सिद्धि के पिता नीरज पाण्डेय ने बताया कि इस डिवाइस के बारे में जब उन्हे बताया गया तो यकीन नहीं हुआ. डिवाइस के खर्च के लिए शिक्षको ने भी भरोसा दिलाया तब ये डिवाइस बनी है.