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भिलाई के पीयूष बने दुनिया के सबसे कम उम्र के वैज्ञानिक, रिसर्च सेंटर ने पीएचडी सर्टिफिकेट और रिसर्च लेवल अप्रूवल सर्टिफिकेट दिया
भिलाई के शंकुतला विद्यालय रामनगर में नौवीं कक्षा में पढ़ने वाले पीयूष जायसवाल दुनिया के यंगेस्ट साइंटिस्ट बन गए हैं. पीयूष ने वेग रहस्य पर शोध कर दुनिया के शीर्ष रिसर्च सेंटर से पीएचडी सर्टिफिकेट और रिसर्च लेवल अप्रूवल सर्टिफिकेट प्राप्त किया है. ब्रह्मांड जैसे जटिल विषय पर किताब लिखने वाले छात्र पीयूष जायसवाल ने अब सबसे कम उम्र में साइंटिस्ट बनने का गौरव हासिल किया है. उनकी इस उपलब्धि पर सीएम भूपेश बघेल ने पीयूष और उनके माता-पिता को सम्मानित भी किया है.
वाशिंगटन स्थित दुनिया के सबसे बड़ी शोध संस्थाओं में से एक इंटरनेशनल जरनल्स ऑफ साइंटिफिक एंड इंजीनियरिंग ने पीयूष जायसवाल के रिसर्च को मान्यता प्रदान की है. पीयूष ने बीते अक्टूबर माह में अपने 20 पन्नों के शोध को मेल के जरिये आइजेएसईआर के पास भेजा था.
पीयूष ने अपने 20 पन्नों के शोध को मेल के जरिए वाशिंगटन डीसी के आईजीएसईआर (इंटरनेशनल जनरल्स आफ साइंटिफिक एंड इंजीनियरिंग रिसर्च ) को अक्टूबर में भेजा था. तब उन्हें बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि उनके शोध को मान्यता मिल जाएगी. 27 दिसंबर को संस्था ने पीयूष के शोध को मान्यता देते हुए सर्टिफिकेट मेल कर दिया. यह भी लिखा कि बहुत जल्द ही पीएचडी की स्कालर और साइंटिस्ट की उपाधि भी उन्हें दी जाएगी.
पीयूष जायसवाल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि ब्रह्मांड का अंत भी निश्चित है. उन्होंने हबल थ्योरी का इस्तेमाल करते हुए बताया कि ग्रहों की दूरियां बढ़ती जा रही हैं. एक समय बाद वे फिर से सिकुड़ने लगेंगे. इसके लिए उन्होंने मैग्नेटिक थ्योरी का उदाहरण दिया. उन्होंने शोध में बताया कि ग्रह जैसे ही दूर होंगे, उनके अंदर मौजूद गुरुत्वाकर्षण क्षमता बढ़ेगी, जो एक दूसरे ग्रह को आपस में खींचकर ब्रह्मांड को तबाह कर देगी.
[ ‘ छत्तीसगढ़ आसपास ‘ न्यूज़ रूम से संवाददाता ]