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आलनार की लौह अयस्क खदान को आरती स्पंज आयरन को दिये जाने पर आयोग ने लिया संज्ञान
किरन्दुल आलनार लौह अयस्क की पहाड़ी को फर्जी ग्राम सभा कर आरती स्पंज आयरन को बेचे जाने के संबंध में बस्तर संभाग के तीन जिले सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा के हजारों आदिवासी ग्रामीणों द्वारा विरोध का झण्डा बुलंद किये जाने के मामले का राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग ने संज्ञान में लिया है।
आयोग के सदस्य नितिन पोटाई ने इस विषय पर कहा कि संविधान में अनुसूचित क्षेत्रों के लिए विशेष कानून बनाये गये हैं। चूंकि सम्पूर्ण बस्तर संभाग में संविधान की पांचवी अनुसूची के अंतर्गत आते हैं एवं पेशा एक्ट लागू है। इसलिए यहां सबसे बड़ी संस्था ग्राम सभा है जहां सारे निर्णय लिये जाते हैं। बिना ग्राम सभा के प्रस्ताव के आदिवासी अंचल के किसी भी खदान को किसी संस्था अथवा कंपनी को लीज में नहीं दिया जा सकता यदि बिना ग्रामसभा के प्रस्ताव के आलनार गांव का तरालमेटा लौह अयस्क पहाड़ आरती स्पंज आयरन निजी कंपनी को बेच दिया गया है, तो मामला गंभीर है। उन्होंने कहा कि आयोग ने इस विषय पर विभिन्न समाचार पत्रों में छपे इस मुद्दे को संज्ञान में लेकर त्वरित कार्यवाही करने का निर्णय लिया है। इसके लिए आयोग के सचिव एवं अन्य पदाधिकारियों से चर्चा की जा चूकी। इस संबंध में आयोग की टीम बहुत जल्द प्रभावित पक्षों से मिलने आयोग का प्रतिनिधि मण्डल किरन्दुल के आलनार गांव जाकर वस्तुस्थिति की जानकारी लेगी।
अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य नितिन पोटाई ने कहा कि इस पूरे मामले में भू-राजस्व संहिता 1959 छ (क) तथा पुर्नवास अर्जन, पुर्नवासन और पुर्नव्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और परदर्शिता अधिनियम 2013 के धारा 41, 42 का पालन हो रहा है कि नहीं, इस विषय में मांग पत्र किसने दिया। शासन द्वारा खदान की लीज कब-कब और किस-किस संस्था को आबंटन किया गया है। प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा दिया गया है कि नहीं, आरती स्पंज आयरन कंपनी को लीज देने में केन्द्र सरकार अथवा राज्य सरकार की क्या भूमिका है। इसके साथ ही श्री पोटाई ने कहा कि ग्राम पंचायत से ग्रामसभा का दिया गया प्रस्ताव की कापी मांगी जायेगी कि कब किसको और कितनी जमीनें ग्रामसभा के प्रस्ताव कर दिया गया है। क्या सरकार ने उक्त जमीने लीज में ली है या खरीदी है। पांचवीं अनुसूचि क्षेत्रों में जमीन देने का क्या प्रावधान है। इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर आयोग जिला प्रशासन एवं स्थानीय व्यक्तियों से बातचीत करेगा।
उन्होंने आगे कहा कि बस्तर अंचल खनिज संसाधनों की दृष्टि से काफी समृद्ध है इसलिए देश के बड़े-बड़े औद्योगिक घरानों के द्वारा इसे हासिल करने के लिए गलत तरीके अपनाये जा रहें हैं। जिससे आदिवासी हितों पर गहरा अघात पहुंच रहा है। भारत सरकार द्वारा 08 मई 2014 को जारी किये गये राजपत्र में पांचवीं एवं छठवीं अनुसूची क्षेत्र में भू-अर्जन, पर्नवास एवं व्यवस्थापन करने के लिए जनजातियों की भूमि का अर्जन, पुर्नवास एवं व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम-2013 बनाया है। जिसके तहत स्पष्ट किया गया है कि –
अर्जन, पुनर्वास एवं व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम-2013 की धारा-41 की उपधारा (1),(2),(3) तथा (4) के तहत भूमि का कोई भी अर्जन, यथासंभव, अनुसूचित क्षेत्रों में नहीं किया जाएगा। यदि ऐसा अर्जन होता है तो ऐसा केवल साध्य अंतिम अवलंब के रूप में किया जाएगा। अनुसूचित क्षेत्रों में किसी भूमि के अर्जन या अन्य संक्रमण की दशा में, संविधान की पांचवी अनुसूची के अधीन के अनुसूचित क्षेत्रों में यथास्थिति संबंधित ग्राम सभा या पंचायतों या स्वशासी जिला परिषदों की पूर्व सहमति ऐसे क्षेत्रों में भूमि अर्जन के, जिनके अंतर्गत अत्यावश्यकर्ता की दशा में अर्जन भी है। सभी मामलों में इस अधिनियम या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य केन्द्रीय अधिनियम या राज्य अधिनियम के अधीन कोई अधिसूचना जारी करने के पूर्व समुचित स्तर पर अभिप्राप्त की जाएगी।
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परन्तु पंचायतों और स्वशासी जिला परिषदों की सहमति उन मामलों में अभिप्राप्त की जाएगी, जहां ग्राम सभा अस्तित्व में नहीं है, या उसका गठन नहीं किया गया है। किसी अपेक्षक निकाय की ओर से भूमि के अर्जन को अंतर्वलित करने वाली ऐसी किसी परियोजना की दशा में जिसमें अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों के कुटुंबो का अस्वैच्छिक विस्थापन अंतर्वलिप्त है।
एक विकास योजना ऐसे प्ररूप में जो विहित किया जाए, उनमें भूमि संबंधी उन अधिकारों का, जो शोध्य हैं किन्तु जिनका परिनिर्धारण नहीं किया गया है। परिनिर्धारण करने तथा भूमि अर्जन सहित एक विशेष अभियान चलाकर अन्य संक्रामित भूमि पर अनुसूचित जनजातियों और साथ ही अनुसूचित जातियों के हकों को बहाल करने संबंधी प्रक्रिया के ब्यौरे अधिकथित करते हुए तैयार की जाएगी।
अर्जन, पुनर्वास एवं व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम-2013 की धारा-42 उपधारा (1) के अनुसार वे सभी फायदे, जिनके अंतर्गत अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को प्रभावित क्षेत्रों में आरक्षण संबंधी उपलब्ध फायदे भी हैं, पुनव्र्यवस्थापन क्षेत्र में भी मिलते रहेंगे।
अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य नितिन पोटाई ने कहा कि पहले भी इसी तरह बैलाडीला के नंदीराज पहाड़ को फर्जी ग्रामसभा के आधार पर लीज में दे दिया गा थ। जिसे प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी के आदेश पर दंतेवाड़ा कलेक्टर ने उक्त ग्राम सभा के प्रस्ताव को रद्द कर दिया था।
सचिव
छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित
जनजाति आयोग, रायपुर