तीन मुक्तकं

5 years ago
1149

1.

हिन्दी को हृदय में मढ़ना तुम
इसे लेकर आगे बढ़ना तुम
हम रहें या न रहें दुनिया में
हिन्दी लिखना रोज पढ़ना तुम

2.

बरसों सींचे हैं इसे पाले हैं
हिन्दी को आजतक संभाले हैं
इसका स्वाभिमान बचाए रखना
गर्व से कहना हिन्दी वाले हैं

3.

हिन्दी पूजा , हिन्दी वंदन है
मुल्क की शान है ये धड़कन है
इसे माथे से लगाना हरदम
राष्ट्रीय धर्म है ये चंदन है

डॉ.माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’
क्वार्टर नं.एएस -14,पॉवरसिटी,
अयोध्यापुरी ,जमनीपाली,
जिला – कोरबा (छ.ग.) 495450
मो.नं.9424141875
7974850694

विज्ञापन (Advertisement)

ब्रेकिंग न्यूज़

कविता

कहानी

लेख

राजनीति न्यूज़