कहना है कुछ, बस यूं ही
4 years ago
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आज की धारणा है
बच के चलो
सड़क में बचो
संयंत्र में बचो
बाजार में बचो
रोजगार में बचो
स्वास्थ्य में बचो
चलती फिरती कालों से बचो
फंसी गर्दन में हलालों से बचो
ताव ऐंठे माई के लालों से बचो
मजे उड़ाते दलालों से बचो
बचो,बचो,बचो हर तरफ से बचो
फंसे हुए हैं लोग
बचाव जारी है
उलझे हुए हैं लोग
सुझाव जारी है
सब तरफ से बचकर भी
खुद से बचना मुमकिन न था
इसलिए मैं गिरह खोल पड़ा
साफ़ साफ़ बचना नहीं था
बावजह मैं इसलिए बोल पड़ा
शोर सुनी जाती है
चीखें दब जाती हैं
कराह बोल पड़ती है
चाह चुप रह जाती है
चुप रहिए
बोलना मना है इस वक्त
बचना ज्यादा जरूरी है
इसलिए बचे रहिए
क्योंकि बचे रहना ही जीवन है!
(आलोक शर्मा)
संपर्क – 9993240084