आज़ादी का अर्थ – पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे
देशभक्तों की कुर्बानी,
क्यों होती है व्यर्थ,
73 सालों में,समझ न पाये,
आज़ादी का अर्थ०
भर्ष्टाचार का,बढ़ता ग्राफ,
इसको कहते आज़ादी,
निर्धन होते,रोज़ साफ़,
इसको कहते आज़ादी,
ईमानदारी का,पत्ता साफ़,
इसको कहते आज़ादी०
ख़ामोश ! हम आज़ाद, हो गए, किसी को,कुछ भी कह सकते हैं,
संस्कार को वस्त्रहीन, कर सकते हैं, हम ताली दें,गाली दें,छाती पर,
दुनाली दें.हम आज़ाद हैं०
हम भूल गए-
आज़ाद, भगत,सुखदेव के बलिदान को,
हम भूल गये-
सुभाष बाबू की शान को,
हम भूल गए-
गुलामी के दाग को,और तो औऱ,
जलियांवाला बाग को,
क्योंकि हम,गज़नी हो गए०
आजाद हैं, पर रहें हमेशा,आज़ादी की हद में,आग लगी है, घर में, सरहद में,आतंकवादी नक्सली, नहीं हो रहे कम,देश के अंदर, देशी बम, गुस्ताखी न हो, तिरंगे की शान में,कोई फ़र्क नहीं, चीन औऱ पाकिस्तान में,हमें वतन से,प्यार रहे,तरूणाई कुर्बानी, के लिए तैयार रहें०
आज़ादी का अर्थ,सिर्फ तिरंगा,
फहराना नहीं, आज़ादी का अर्थ,
मिठाई खाना, भाषण सुनाना नहीं, आज़ादी का अर्थ देश की,
आन,बान, शान है, हमारा संकल्प है, हमारा स्वाभिमान