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कविता आसपास : पल्लव चटर्जी [भिलाई छत्तीसगढ़]

2 years ago
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विकास हो प्रकृति की सहमति से…
विकास के रथ को
आगे बढ़ाने के लिए
निर्माण जरूरी है…
किंतु इससे भी ज़्यादा ज़रुरी है इस प्रक्रिया की सतत् निगरानी।
बिना परीक्षण सत्यान्वेषषण किए,
अतिक्रमण बेहद ख़तरनाक होता है।
परिवर्तन प्रकृति का नियम है,
स्वाभाविक प्रक्रिया भी।
अगर बदलाव प्रकृति की सहमति से हुआ
तो ठीक है अन्यथा विनाश
निश्चित है।
परिणाम इंसानी बस्तियों का उजड़ जाना,
आक्रोश, धरना प्रदर्शन, शिकायतों और
विरोध की शुरुआत….
सच तो यह है कि
इंसान और कर ही क्या सकता है?
•संपर्क-
•81093 03936
chhattisgarhaaspaas
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