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जन गीत – मस्त फकीरा जग से बोले

5 years ago
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कवि – विक्रम अपना

मस्त फकीरा जग से बोले
जो बोये वो पायेगा
कितनी भी हो तेरी ऊँचाई
मिट्टी में मिल जाएगा

मस्त फकीरा जग से बोले…

कैसी चिंता कैसी उलझन
तू क्या-क्या कर पायेगा
खुद ही धरती झूम रही है
तू इसको घुमाएगा?

मस्त फकीरा जग से बोले…

हीरे मोती धन दौलत भी
तेरे काम न आएगा
अभी समय है जप ले बंदे
यही खजाना जाएगा

मस्त फकीरा जग से बोले…

तेरे साथ तो हरपल मैं हूँ
मुझको दिल में पायेगा
सुर में सुर मिलाकर जब
मेरे संग तू गायेगा

मस्त फकीरा जग से बोले…

अनंत ब्रह्मांड है हिय में मेरे
मेरी कृपा वो पायेगा
सत्य-धर्म, निष्काम-कर्म से
ध्रुव तारा बन जायेगा

मस्त फकीरा जग से बोले…

दुखियों में जो मुझको देखे
जो संताप मिटाएगा
नर का ही तो रूप नारायण
मुझको वो पा जाएगा

मस्त फकीरा जग से बोले
जो बोये वो पायेगा
कितनी भी हो तेरी ऊँचाई
मिट्टी में मिल जाएगा

संपर्क-98278 96801

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