कविता – यशवन्त सिन्हा ‘कमल’
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सामने नहीं आता अब कोई भीम
जो करे रक्तपान दुशासन की छाती से
चीर दे जांघ दुर्योधन की
छेड़ दे युद्ध
तुम्हारी अस्मिता की ख़ातिर
सुनो! पांचाली सुनो
अब तुमको ही भीम बन जाना होगा
कोई गिरधर वासुदेव नहीं आज
तुमको स्वयं अपना चीरहरण बचाना होगा
अपने प्रतिशोध के खातिर
तुमको ही महाभारत रचाना होगा
फिर स्वयं रण में उतर जाना होगा
उठाओ खड्ग, हे वीरांगना !
तुमको अब मणिकर्णिका बन जाना होगा
बहुत हुआ प्रलाप हे गौरी!
अब सरस्वती-लक्ष्मी नहीं
महाकाली बन जाना होगा
बलात्कारियों के नरमुंडों की माला
स्वयं को स्वयं ही पहनाना होगा
हे महिसासुरमर्दनी!
इन असुरों को अब तुम्हें ही
मृत्यु की गोद में सुलाना होगा
उठो ,जगो हे भारत की नारीशक्ति!
आदिशक्ति!आदिशक्ति! महाशक्ति
कवि संपर्क –
88218 48603